अपनी छत पर टहलते हुए बबलू शर्मा की नजर ज्यों ही पड़ोसी की छत पर पड़ी, वह चौंक गए. चौंकने लायक बात ही थी. वहां शशि गौतम चारपाई पर औंधे मुंह पड़ी थी. उस की चारपाई के ठीक नीचे फर्श पर काफी खून फैला हुआ था. यह वाकया 10 जुलाई, 2021 का है.

उन्होंने शशि गौतम का नाम ले कर पुकारा, किंतु कोई जवाब नहीं मिला. फिर किसी अनहोनी की आशंका से दूसरे पड़ोसियों को पुकारने लगे.

कुछ समय में ही आसपास की छतों पर कई लोग आ गए. सभी शशि को इस हालत में देख कर हैरान थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि शशि आखिर इस हालत में क्यों है? वे लोग तमाशबीन बने आंखें फाड़े सिर्फ देखे जा रहे थे. किसी के मुंह से एक आवाज नहीं निकल रही थी.

आखिर में बबलू शर्मा ने ही पहल करते हए बिठूर थाने की पुलिस को इस की सूचना दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह मकसूदाबाद जाने की तैयारी में जुट गए. कानपुर नगर की सीमा से सटा यह इलाका कहने को तो गांव है, लेकिन काफी विकसित मोहल्ला बन चुका है. इसी मोहल्ले में शशि गौतम का मकान है.

मकान में 2 गेट थे. एक गेट पर अंदर से ताला लगा था, जबकि दूसरे गेट पर बाहर  ताला जड़ा था. थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने दूसरे गेट का ताला तुड़वाया और पुलिस टीम के साथ मकान की छत पर पहुंचे.

घटनास्थल पर पहुंचने से पहले थानाप्रभारी ने यह खबर पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी. पुलिस के आने तक शशि गौतम के मकान के बाहर काफी भीड़ जुट गई थी. आसपास की छतों पर भी बहुत लोग खड़े आपस में दबी आवाज के साथ बातें कर रहे थे.

छत का दृश्य भयावह था. वहां पड़ी चारपाई पर 30 वर्षीय शशि गौतम की लाश औंधे मुंह पड़ी थी. उस के सीने में गोली मारी गई थी, जो आरपार हो गई थी. पास ही .315 बोर का खोखा पड़ा था. चारपाई के नीचे फर्श पर खून ही खून था, जो आसपास फैल चुका था.

थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने पुलिस टीम के सभी सदस्यों के साथ मिल कर घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. तमाम तरह की जानकारियां जुटा लीं. उन में खून के नमूने, बंदूक की गोली का खोखा, फिंगरप्रिंट, लाश की विभिन्न एंगल से तसवीरें और कुछ लोगों के बयान आदि शामिल थे.

घटनास्थल की छानबीन के दरम्यान ही शशि गौतम के पिता रामदास गौतम, मां शिवदेवी और भाई अनिल भी अपने गांव से वहां पहुंच चुके थे. बेटी का शव देख कर शिवदेवी बदहवास हो गई थी, जबकि भाई अनिल और पिता भी शव देख कर फफक पड़े थे.

एएसपी अभिषेक कुमार अग्रवाल को शशि के पिता रामदास ने पूछताछ में बताया कि उन की बेटी का काफी समय से पति संतोष के साथ मतभेद चल रहा था. इस कारण वह अपनी ससुराल छोड़ कर मायके आ गई थी.

2 साल पहले ही शशि ने मकसूदाबाद में अपना घर भी बनवा लिया था. उस में वह अकेली रहती थी, जबकि उस के 2 बच्चे ननिहाल में और एक बच्चा पति के साथ रहता है.

‘‘तुम्हे किसी पर शक है?’’ एएसपी ने उन से पूछा.

‘‘इस बारे मैं क्या कह सकता हूं. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है,’’ रामदास गौतम ने कहा.

इस मामले की पहली सूचना देने वाले मृतका के पड़ोसी बबलू शर्मा से एसपी संजीव त्यागी ने पूछताछ की.

उस ने मामले की जानकारी से एक दिन पहले शाम 7 बजे की कुछ बातें बताईं. कहा कि उस समय शशि मकान की छत पर थी और उस के मोबाइल से ही मास्टर महेशचंद्र शर्मा से बात भी की थी. फोन पर महेशचंद्र को अपने घर बुला रही थी, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया था.

रात 10 बजे शशि ने महेशचंद्र से एक बार फिर बात करने की कोशिश की थी, लेकिन उन की बात नहीं हो पाई और वह छत पर जा कर सो गई थी. वह भी अपनी छत पर जा कर सो गया था. सुबह उठा तो तो शशि चारपाई पर औंधे मुंह पड़ी दिखी.

‘‘महेशचंद्र शर्मा कौन है, तुम जानते हो उसे?’’ त्यागी ने बबलू से पूछा.

‘‘सर, महेशचंद्र शशि गौतम के मायके सिंहपुर गांव का ही रहने वाला है. उस के साथ शशि काफी घुलीमिली थी. महेश का शशि के पास आनाजाना लगा रहता था. वह जबतब शशि को पैसे की भी मदद करता रहता था.’’

एसपी त्यागी के लिए यह जानकारी महत्त्वपूर्ण थी. उन्होंने इसी आधार पर अवैध संबंध को ध्यान में रखते हुए शशि की हत्या की जांच शुरू करवा दी.

उन्होंने हत्या का खुलासा करने के लिए एएसपी अभिषेक कुमार अग्रवाल की निगरानी में एक टीम गठित कर दी. सर्विलांस टीम को भी सहयोग के लिए लगा दिया. थानाप्रभारी ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया.

पुलिस टीम ने शीघ्र ही जांच की शुरुआत करते हुए मृतका के पिता रामदास व भाई अनिल के बयान लिए. पड़ोसी बबलू शर्मा से पूछताछ की. बबलू के बयानों के आधार पर महेशचंद्र शर्मा संदेह के दायरे में आ चुका था.

मृतका के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स के मुताबिक दोनों के बीच हर रोज बात होती थी. संदेह के आधार पर ही पुलिस टीम ने 10 जुलाई की रात 12 बजे महेशचंद्र शर्मा को उस के बेटे अमित शर्मा समेत घर से हिरासत में ले लिया.

बिठूर थाना ला कर उन से पूछताछ की गई. पहले तो उन्होंने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, किंतु सख्ती बरतने पर दोनों टूट गए और शशि गौतम की हत्या का भेद खोल दिया.

महेशचंद्र ने बताया कि बीते कई सालों से शशि के साथ उस के नाजायज संबंध बने हुए थे, जबकि वह शशि से उम्र में काफी बड़ा था.

अवैध रिश्तों की वजह से वह शशि की हर जरूरतों का मददगार बना हुआ था. उस ने शशि के कहने पर उस के लिए मकसूदाबाद में मकान तक बनवा दिया था. गांव में जमीन खरीद कर दी थी.

बोलतेबोलते महेशचंद्र ने शशि के प्रति नाराजगी दिखाते हुए बताया कि बीते एक साल से वह उसे ब्लैकमेल करने लगी थी. अकसर पैसों की मांग करती रहती थी. नहीं देने पर जलील करती हुई गंदेभद्दे शब्दों के साथ गालियां देती थी.

इस कारण वह उस से तंग आ गया था. उस के व्यवहार से ऊब होने लगी थी. कई बार उस की हरकतों की वजह से आत्महत्या तक करने की भी सोच लेता था. फिर तुरंत खुद को समझाता हुआ दूसरे विकल्प पर विचार करने लगता.

शशि के साथ संबंध कायम रखने के कारण वह पिछले कुछ समय से बेहद तनाव में रहने लगा था. नाजायज रिश्ते और शशि द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की जानकारी उस के बेटे अमित को भी थी.

महेश ने बताया कि इसी तनाव की स्थिति से बाहर निकलने के लिए उस ने अपने बेटे अमित से सुझाव मांगा. अमित भी अपने पिता की स्थिति और उन की परेशानी को काफी समय से देख रहा था. उस ने इस के लिए पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव की मदद लेने की सलाह दी.

उस ने पिता को सुझाव दिया कि क्यों न उस के आदमियों से शशि की हत्या करवा दी जाए. यह बात महेश को पसंद आ गई. यह कहने पर पुलिस ने अमित से पूछताछ की. उस ने पुलिस को बताया कि वह कई बार अपनी आंखों के सामने शशि द्वारा पिता से पैसे मांगते और उन्हें जलील होते देख चुका था.

उस के द्वारा आए दिन पैसा वसूल करना उसे खलता था. इस कारण उस ने ही सीमा यादव से मुलाकात की और शशि की हत्या के लिए 50 हजार रुपए की सुपारी दे दी. बदले में दस्यु सुंदरी ने अपने पूर्व साथी अनुज, सत्यम शर्मा व अमर यादव को शशि के घर भेज कर उस की हत्या करवा दी.

शशि की हत्या के मामले में पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव का नाम आने पर पुलिस सन्न रह गई, क्योंकि सीमा यादव को गिरफ्तार करना मामूली बात नहीं थी. फिर भी पुलिस टीम ने जाल फैलाया और सीमा के रिश्तेदार अनुज यादव समेत उस के साथी सत्यम शर्मा को दबोच लिया. उन की गिरफ्तारी प्रधानपुर गांव से हुई.

उस के बाद अनुज के सहयोग से पुलिस टीम ने नाटकीय ढंग से सीमा यादव और अमर यादव को भी गिरफ्तार कर लिया.

इस तरह 48 घंटे में ही पुलिस टीम को हत्या व षडयंत्र में शामिल सीमा यादव, अनुज यादव, अमर यादव, सत्यम शर्मा, महेशचंद्र शर्मा व अमित शर्मा को गिरफ्तार करने में सफलता मिल गई थी.

पुलिस टीम ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल मोटरसाइकिल, .315 बोर का तमंचा, रस्सी, खून से सनी अनुज की शर्ट, मृतका शशि का मोबाइल फोन और सुपारी की करीब 14 हजार रुपए की रकम बरामद कर ली.

हत्यारोपियों के बयान के आधार पर थानाप्रभारी ने मृतका शशि के भाई अनिल गौतम को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/120बी के तहत महेश चंद्र शर्मा, अमित शर्मा, सत्यम शर्मा, अनुज यादव, अमर यादव और तथा सीमा यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. उस के बाद पुलिस जांच में ब्लैकमेलर प्रेमिका की जो सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है—

कानपुर (देहात) जनपद के शिवली थाना अंतर्गत सिंहपुर में किसान रामदास गौतम की बेटी शशि उर्फ अंगूरी थी. शशि बेहद खूबसूरत थी. जवानी के दिनों में उस की खूबसूरती और भी निखार पर थी.

रामदास ने समय रहते शशि का विवाह संतोष गौतम से कर दिया था. संतोष औरैया जिले के अटौली गांव का रहने वाला था. उस के पिता जयराम गौतम भी खेतीबाड़ी करते थे. संतोष भी पिता के साथ खेतों पर काम करता था.

शशि और संतोष की वैवाहिक जिंदगी 5 सालों तक मजे में गुजरी. इस बीच शशि 3 बेटों अमित, मंगली व शनि की मां बन गई. परिवार बढ़ने पर घर का खर्च भी बढ़ गया.

शशि बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए पैसे की तंगी में आ गई. साधारण खर्च के लिए भी उस की सासससुर के आगे हाथ फैलाने की नौबत आ गई.

कई बार इस के लिए उन से झिड़की भी खानी पड़ती. वह छोटीछोटी जरूरतों के लिए तरसने लगी. शशि ने पति पर दबाव डालना शुरू किया कि वह घरजमीन का बंटवारा कर ले और नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत करे. इस पर संतोष राजी नहीं हुआ. वह मांबाप से अलग नहीं रहना चाहता था.

बंटवारे को ले कर शशि ने घर में कलह शुरू कर दी थी. पतिपत्नी के बीच खूब झगड़े होने लगे थे. कभीकभी बात इतनी बढ़ जाती कि संतोष शशि को बुरी तरह पीट देता. झगड़े में शशि सासससुर को भी नहीं बख्शती थी. वह उन्हें जम कर भलाबुरा सुनाती थी.

इस के बाद घर में कलह का माहौल बन गया था. इस कारण संतोष ने शराब पीनी शुरू कर दी थी. पतिपत्नी के बीच झगड़े की एक और वजह संतोष का हर रोज शराब पी कर घर आना भी बन गया.

शशि टोकती तो वह मारपीट पर उतर आता. प्रतिदिन शराब पी कर आना संतोष के मातापिता को भी नहीं पसंद था. वह उन के समझाने पर भी नहीं मानता था. अंतत: शशि ने बच्चों सहित पति का घर छोड़ दिया. यह बात वर्ष 2013 के नवंबर माह की है.

वह तीनों बेटों के साथ मायके सिंहपुर आ गई. अपने मातापिता के सामने पति प्रताड़ना की झूठी कहानी गढ़ दी. मातापिता उस की बातों में आ गए और उसे मायके में आश्रय दे दिया.

दूसरी तरफ संतोष को विश्वास था कि जब शशि का गुस्सा ठंडा हो जाएगा, तब वह ससुराल वापस आ जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक दिन खुद शशि और बच्चों को बुलाने गया, लेकिन शशि ने साफ इनकार कर दिया.

उस के मातापिता ने भी बेटी का ही पक्ष लिया. संतोष किसी तरह से काफी मिन्नत कर अपने मंझले बेटे को अपने घर ले आया. इस तरह बड़ा बेटा अमर व छोटा बेटा सनी शशि के साथ रहने लगे.

उस के बाद से शशि मायके में बेफिक्री से रहने लगी. बनसंवर कर खेतखलिहानों का चक्कर लगाना उस की दिनचर्या बन चुकी थी. सब से हंसतेबोलते समय गुजरने लगा.

गांव के मर्दों से भी खुल कर बातें करने पर वहां की दूसरी औरतें टोकती थीं. उन का असर शशि पर जरा भी नहीं होता, उल्टे टोकाटाकी करने वाली औरतों को ही जवाब दे देती थी.

शशि के घर से कुछ दूरी पर ही प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर महेशचंद्र शर्मा रहते थे. उन की नौकरी के अलावा खेतीबाड़ी भी थी, जिस से उन की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. बेटा अमित विवाहित था, पत्नी के स्वर्गवासी होने की स्थिति में महेश अपनी तन्हा जिंदगी गुजार रहे थे, तभी शशि का उन की जिंदगी में आना सुखद संयोग बन गया.

एक दिन महेश ने अपने दिल की बात शशि से कह दी. दूसरी तरफ शशि के दिल में भी वासना की आग सुलग रही थी.

अकसर शशि दोपहर को पिता के लिए खाना ले कर खेत पर आती थी. वहीं महेश चंद्र भी टकरा जाते थे. उस के द्वारा खूबसूरती की तारीफ सुन कर शशि शर्म से गड़ जाती थी, बाद में बारबार महेश की बातें उस के जेहन में उमड़नेघुमड़ने लगी थीं. नतीजा यह हुआ कि एक दिन शशि ने खुद को महेश के आगे स्वेच्छा से समर्पित कर दिया.

उम्र के अंतर के बावजूद उन के बीच एकदूसरे की तन्हाई दूर करने का रिश्ता तो बन गया था, लेकिन वह अनैतिक ही था. इस की भनक महेश के बेटे और शशि के पिता को भी लग चुकी थी, किंतु उन्होंने समाज में बात फैलने के चलते आंखें मूंद ली थीं.

इस का एक कारण और भी था कि उन का अनैतिक संबंध रामदास और शशि के लिए अर्थिक मदद का आधार बन चुका था.

महेश और शशि के रिश्ते बहुत दिनों तक गांव में छिप नहीं सके. इसे देखते हुए महेश चंद्र ने शशि का गांव से बाहर रहने का इंतजाम करवा दिया.

गांव में उस ने शशि के बच्चों की परवरिश का जिम्मा भी उठा कर रामदास के मुंह पर ताला जड़ दिया. शशि जो भी डिमांड करती, महेश उसे पूरा कर देता.

इसी क्रम में महेश चंद्र ने सन 2017 में कानपुर सीमा से सटे मकसूदाबाद में प्लौट खरीद कर 7 लाख रुपए में उसे मकान बनवा दिया. शशि वहीं ठाट से रहने लगी.

महेशचंद्र के लिए वह मौजमस्ती का अड्डा बन गया था.  वहां रहते हुए एक साल के भीतर ही शशि के तेवर बदल गए थे. उस की ख्वाहिशें बढ़ चुकी थीं.

वह अपनी इन्हीं ख्वाहिशों की पूर्ति के लिए महेश पर दबाव बनने लगी थी. उस के नहीं मानने पर उसे ब्लैकमेल भी करने लगी थी. प्रेमिका की ब्लैकमेलिंग धीरेधीरे महेश पर भारी पड़ने लगी. वह परेशान हो उठे. इस की खबर बेटे को थी. उस ने सुपारी दे कर शशि को रास्ते से हटाने की सलाह दी.

योजना के तहत 9 जुलाई, 2021 की शाम दस्यु सुंदरी सीमा यादव ने 10-10 हजार रुपए शूटरों को दिए. उस के बाद अनुज यादव अपनी मोटरसाइकिल से सत्यम और अमर के साथ मकसूदाबाद स्थित शशि के मकान पर पहुंचा.

रात डेढ़ बजे तीनों रस्सी के सहारे छत पर चढ़ गए. वहां चारपाई पर सो रही शशि को सत्यम और अमर ने दबोच लिया और अनुज ने उस के सीने में गोली मार दी.

हत्या के बाद चारपाई पर रखा शशि का मोबाइल फोन अमर ने उठा लिया. फिर रस्सी के सहारे  तीनों नीचे आ कर मोटरसाइकिल से फरार हो गए.

13 जुलाई, 2021 को बिठूर थाने की पुलिस ने आरोपी पूर्व दस्यु सुंदरी सीमा यादव और उस के सहयोगियों अमर यादव, अनुज यादव, सत्यम शर्मा, महेश चंद्र शर्मा तथा अमित शर्मा से पूछताछ करने के बाद उन्हें कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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