इसी साल 18 मार्च की बात है. शाम का समय था. करीब 6-साढ़े 6 बज रहे थे. छत्तीसगढ़ के शहर बिलासपुर में रहने वाली सरिता  श्रीवास्तव मंदिर जाने की तैयारी कर रही थीं. बेटा ओम प्रखर घर पर अपने कमरे में पढ़ रहा था. इसी दौरान डोर बेल बजी. सरिता ने बाहर आ कर गेट खोला. गेट पर 25-30 साल की एक युवती खड़ी थी.

सरिता ने युवती की ओर देख कर सवाल किया, ‘‘हां जी, बताओ क्या काम है?’’

युवती ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर सरिता से कहा, ‘‘मैम नमस्ते. ओम घर पर है क्या?’’

‘‘हां, ओम घर पर ही है.’’ सरिता ने युवती को जवाब दे कर सवाल किया, ‘‘आप को उस से क्या काम है?’’

‘‘मैम, मेरा नाम आराधना एक्का है. मैं ओम के स्कूल में टीचर हूं. इधर से जा रही थी, तो सोचा ओम से मिलती चलूं.’’ युवती ने बताया.

बेटे की टीचर होने की बात जान कर सरिता ने आराधना को अंदर बुलाते हुए ओम को आवाज दे कर कहा, ‘‘ओम, आप की मैम मिलने आई हैं.’’

ओम बाहर आया, तो टीचर उसे देख कर मुसकरा दी.

सरिता को मंदिर जाने को देर हो रही थी. इसलिए उन्होंने ओम से कहा, ‘‘ओम, अपनी टीचर को चायपानी पिलाओ. मुझे मंदिर के लिए देर हो रही है.’’

‘‘ठीक है मम्मी, आप मंदिर जाइए.’’ ओम ने मम्मी को आश्वस्त किया और अपनी टीचर से कहा, ‘‘मैम, आ जाओ, कमरे में बैठते हैं.’’

‘‘हां बेटे, तुम बातें करो. मैं मंदिर हो कर आती हूं.’’ कह कर सरिता घर से निकल गईं.

मंदिर सरिता के घर से दूर था. जब वह मंदिर से घर लौटीं, तो रात के करीब 8 बज गए थे. घर का गेट खुला देख कर सरिता को थोड़ा ताज्जुब हुआ, ओम की लापरवाही पर खीझ भी हुई. वह ओम को आवाज देती हुई घर में घुसीं.

ओम का जवाब नहीं आने पर उन्होंने कमरे में जा कर देखा, तो उन के मुंह से चीख निकल गई. ओम अपने कमरे में पंखे के हुक से लटक रहा था.

सरिता पढ़ीलिखी हैं. वह निजी स्कूल चलाती हैं. अपने 16-17 साल के बेटे ओम को फंदे पर लटका देख कर वह कुछ समझ नहीं पाईं. उन्होंने रोते हुए तुरंत घर से बाहर आ कर जोर से आवाज दे कर पड़ोसियों को बुलाया. पड़ोसियों की मदद से पंखे से लटके ओम को नीचे उतारा गया.

ओम को फंदे से उतार कर उस की नब्ज देखी, तो सांस चलती हुई नजर आई. सरिता पड़ोसियों की मदद से बेटे को तुरंत बिलासपुर के अपोलो हौस्पिटल ले गईं. डाक्टरों ने बच्चे की जांचपड़ताल करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया.

अस्पताल वालों ने इस की सूचना तोरवा थाना पुलिस को दी. मामला सुसाइड का था, इसलिए पुलिस अस्पताल पहुंच गई. पुलिस ने सरिता से पूछताछ के बाद ओम का शव पोस्टमार्टम के लिए अपने कब्जे में ले लिया.

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इस के बाद पुलिस देवरीखुर्द हाउसिंग बोर्ड इलाके में सरिता के घर पहुंची. उस समय तक रात के करीब 10 बज गए थे. इसलिए पुलिस ने वह कमरा सील कर दिया, जिस में ओम ने फांसी लगाई थी.

दूसरे दिन तोरवा थाना पुलिस ने ओम के शव का पोस्टमार्टम कराया. एक पुलिस टीम ने सरिता के मकान पर पहुंच कर ओम के कमरे की जांचपड़ताल की. कमरे में पुलिस को ओम का मोबाइल स्टैंड पर लगा हुआ मिला. मोबाइल का डिजिटल कैमरा चालू था. पुलिस ने मोबाइल की जांच की, तो उस में ओम के फांसी लगाने का पूरा वीडियो मिला.

ओम ने अपना मोबाइल स्टैंड पर इस तरह सेट किया था कि उस के फांसी लगाने की प्रत्येक गतिविधि कैमरे में कैद हो गई थी. पुलिस ने मोबाइल जब्त कर लिया. पुलिस ने ओम की किताब, कौपियां भी देखीं, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. उस के कमरे से दूसरी कोई संदिग्ध चीज भी नहीं मिली.

पुलिस ने सरिता श्रीवास्तव से ओम के फांसी लगाने के कारणों के बारे में पूछा, लेकिन उन्हें कुछ पता ही नहीं था, तो वे क्या बतातीं. उन्होंने मंदिर जाने से पहले ओम की टीचर आराधना के घर आने और मंदिर से वापस घर आने तक का सारा वाकया पुलिस को बता दिया.

लेकिन इस से ओम के आत्महत्या करने के कारणों का पता नहीं चला.

तोरवा थाना पुलिस ने ओम की आत्महत्या का मामला दर्ज कर लिया. जब्त किए उस के मोबाइल पर कुछ चीजों में लौक लगा हुआ था. मोबाइल का लौक खुलवाने के लिए उसे साइबर सेल में भेज दिया गया. पुलिस जांचपड़ताल में जुट गई, लेकिन यह बात समझ नहीं आ रही थी कि ओम ने सुसाइड क्यों किया और सुसाइड का वीडियो क्यों बनाया?

ओम प्रखर एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ता था. इस के साथ ही एक इंस्टीट्यूट में कोचिंग भी कर रहा था. ओम सरिता का एकलौता बेटा था. पति सुनील कुमार से अनबन होने के कारण सरिता बेटे के साथ घर में अकेली रहती थीं. सरिता परिजात स्कूल की प्राचार्य थीं. यह स्कूल वह खुद चलाती थीं.

पुलिस ओम के सुसाइड मामले की जांचपड़ताल कर रही थी, इसी बीच उस के कुछ दोस्तों के मोबाइल पर डिजिटल फौर्मेट में कुछ सुसाइट नोट पहुंचे. पता चलने पर पुलिस ने ये सुसाइड नोट जब्त कर लिए. इन सुसाइड नोट में ओम ने कई तरह की बातें लिखी थीं, जिन में वह जीने की इच्छा जाहिर कर रहा था और अपने व अपनों के लिए कुछ करने की बात भी कह रहा था.

सुसाइड नोट में ओम ने किसी लड़की का जिक्र करते हुए लिखा था कि वह उस का मोबाइल नंबर कभी ब्लौक तो कभी अनब्लौक कर देती है. उस ने सुसाइड नोट में अपनी मौत से उसे दर्द पहुंचाने की बात भी लिखी थी.

यह सुसाइड नोट सामने आने से पुलिस को यह आभास हो गया कि यह मामला प्रेम प्रसंग का हो सकता है. इसलिए पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर जांच आगे बढ़ाई. इस दौरान ओम के दोस्तों के पास उस के सुसाइड से जुड़े मैसेज आते रहे.

जांच में पता चला कि ओम ने सुसाइड से पहले मोबाइल में 2-3 सुसाइड नोट रिकौर्ड किए थे. इस के अलावा कुछ अन्य मैसेज भी लिखे थे.

ये मैसेज और सुसाइड नोट दोस्तों को अलगअलग समय पर मिलें, इस के लिए उस ने टाइम सेट किया था. टाइम सेट किए जाने के कारण ही ओम के दोस्तों को उस के सुसाइड नोट और मैसेज अलगअलग समय पर मिले.

सुसाइड नोट और मैसेज के आधार पर पुलिस ने 23 मार्च को ओम को आत्महत्या के लिए उकसाने और पोक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर शिक्षिका आराधना एक्का को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस की ओर से एकत्र किए सबूतों के आधार पर जो कहानी सामने आई है, वह 16-17 साल के किशोर ओम प्रखर को उस की टीचर आराधना एक्का द्वारा अपने प्रेमजाल में फंसाने और उस का दैहिक शोषण करने की कहानी थी.

30 साल की आराधना एक्का बिलासपुर के सरकंडा इलाके में एक निजी स्कूल में कैमिस्ट्री की टीचर थी. ओम भी इसी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ता था. ओम अपनी क्लास का होशियार विद्यार्थी था.

पढ़ातेपढ़ाते आराधना का झुकाव ओम की ओर होने लगा. वह गुरुशिष्य का रिश्ता भूल कर ओम को प्यार करने लगी. आराधना ने ओम का मोबाइल नंबर भी ले लिया. वह कभी ओम को क्लास में रोक कर उसे छूती और प्यार भरी बातें करती, तो कभी घर पर बुला लेती.

ओम जवानी की दहलीज पर खड़ा था. वह प्रेम प्यार का ज्यादा मतलब तो नहीं समझता था, लेकिन इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ जाना स्वाभाविक है.

आराधना जब उसे छूती और उस के नाजुक अंगों को सहलाती, तो ओम को अच्छा लगता. किशोरवय ओम जल्दी ही अपनी टीचर के प्यार की गिरफ्त में आ गया. आराधना उस का शारीरिक शोषण भी करने लगी.

इसी बीच आराधना का अपने स्कूल के एक शिक्षक से प्रेम प्रसंग शुरू हो गया. इस के बाद आराधना ने ओम की तरफ ध्यान देना कम कर दिया. इस से ओम बेचैन रहने लगा.

आराधना ने उसे प्यार की ऐसी गिरफ्त में ले लिया था कि ओम को उस के बिना सब कुछ सूनासूना सा लगता था. ओम जब आराधना को फोन करता, तो कई बार वह फोन नहीं उठाती थी. इस पर ओम को कोफ्त होती थी.

ओम ने पता किया, तो मालूम हुआ कि आराधना का एक टीचर से चक्कर चल रहा है. यह बात जान कर ओम परेशान हो उठा. एक दिन आराधना ने ओम को बिलासपुर के एक मौल में बुलाया. ओम वहां गया, तो उस ने बहाने से आराधना का मोबाइल ले लिया. ओेम ने आराधना की आंख बचा कर उस के मोबाइल को हैक कर लिया.

इस के बाद आराधना जब भी अपने प्रेमी टीचर से बातें करती या सोशल मीडिया पर कोई मैसेज भेजती, तो सारी बातें ओम को पता चल जातीं. आराधना की बेवफाई की बातें सुन और पढ़ कर ओम ज्यादा परेशान रहने लगा.

18 मार्च को आराधना जब ओम के घर आई, तब उस की मम्मी सरिता श्रीवास्तव मंदिर जा रही थीं. मां के मंदिर जाने के बाद ओम ने आराधना से उस की बेवफाई के बारे में पूछा, तो आराधना ने उसे फटकार दिया और अपनी मनमर्जी की मालिक होने की बात कहते हुए चली गई.

आराधना की बातों से किशोरवय ओम के दिल को गहरी ठेस पहुंची. नासमझी में उस ने सुसाइड करने का फैसला कर लिया. उस ने किसी खास ऐप की मदद से कोड लैंग्वेज में कुछ सुसाइड नोट लिखे. एकदो सुसाइड नोट उस ने हिंदी में भी लिखे. ये सुसाइड नोट लिख कर उस ने टाइम सेट कर दिया और अपने दोस्तों को भेज दिए.

इस के बाद घर में अकेले ओम ने एक रस्सी से फांसी का फंदा बनाया और कमरे में लगे पंखे से लटक कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.

सुसाइड नोट के टाइम सेट किए जाने के कारण ओम के दोस्तों को उस के सुसाइड नोट अलगअलग तय समय पर मिले. दोस्तों को सुसाइड नोट मिलने पर ओम के सुसाइड करने के कारणों का पता चला.

पुलिस ने ओम के मोबाइल का लौक खुलवा कर जांचपड़ताल की, तो उस में कोड वर्ड में लिखा सुसाइड नोट मिला. पुलिस ने साइबर विशेषज्ञों की मदद से सुसाइड नोट के कोड वर्ड को डिकोड कराया.

सुसाइड नोट में आराधना के लिए एक जगह लिखा था कि उसे पता था कि मैं बेस्ट हूं लेकिन उस ने मुझे बरबाद कर दिया. मैं जिंदा रहना चाहता हूं, अपने लिए, अपने घर वालों के लिए. जो मुझ से प्यार करते हैं, उन के लिए बहुत कुछ करना चाहता हूं. मैं जिंदगियां बचाना चाहता हूं, लेकिन मुझे कोई नहीं बचा सकता.

आराधना की बेवफाई का जिक्र करते हुए ओम ने सुसाइड नोट में लिखा कि वह मुझे अकसर ब्लौक कर देती थी और खुद की जरूरत पड़ने पर अनब्लौक. मैं ने उस से पूछा था कि वास्तविक जीवन में कैसे ब्लौक करोगी?

मैं ने उस से मजाक में यह भी पूछा था कि क्या कोई और मिल गया है, तो उस ने कहा था, क्या मेरा एक साथ 10 के साथ चक्कर चलेगा? फिर बोली थी कि कभी शक मत करना.

पहले उस ने मुझे प्यार में फंसाया. फिर जब मुझे गहराई से प्यार हो गया, तो वह मुझे छोड़ने की बात करने लगी. मैं मनाता था, तो मान भी जाती थी. वह मुझे इस्तेमाल करती थी. मैं ने उसे सब कुछ दे दिया.

आरोपी टीचर आराधना ने पुलिस से बताया कि ओम ही उसे परेशान करता था. वह कम उम्र का था, इसलिए उस ने कभी उस की शिकायत उस के घर वालों से नहीं की.

पुलिस ने आरोपी टीचर को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश किया. अदालत के आदेश पर उसे 24 मार्च को जेल भेज दिया गया. पुलिस ने उस का मोबाइल भी जब्त कर लिया.

बहरहाल, आराधना ने अपनी काम इच्छा की पूर्ति के लिए किशोर उम्र के ओम का इस्तेमाल किया. हवस में अंधी आराधना की बेवफाई ने ओम को तोड़ दिया. उस ने सुसाइड कर लिया.

बेटे ओम की मौत से सरिता श्रीवास्तव पर दोहरा वज्रपात हुआ. एक तो वह पति से पहले ही अलग रहती थीं. अब बेटे की मौत ने उन की जिंदगी की रहीसही खुशियां भी छीन लीं.

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