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पुलिस टीम अब तक 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन शिवम के बयानों के आधार पर 3 आरोपी अभिषेक, रिशु व सीमा फरार थी. इन को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम ने जाल बिछाया और खास खबरियों को भी लगा दिया.

इस का परिणाम जल्द ही सामने आया. एक खास खबरी ने पुलिस को जानकारी दी कि रिशु, अभिषेक व सीमा इस समय टुनटुनिया पार्क के पास मौजूद हैं. खबरी की बात पर विश्वास कर पुलिस टीम टुनटुनिया पार्क पहुंची और उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया.

उन तीनों का सामना थाने में शिवम, सनी व अमित से हुआ तो वह समझ गए कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं है. अत: उन्होंने बिना हीलाहवाली के जुर्म कुबूल कर लिया.

चूंकि शालू के हत्यारों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया था. अत: थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह ने मृतक शालू के भाई शेरू को वादी बना कर आईपीसी की धारा 364/302/201 के तहत शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू, अमित पासवान, सनी गुप्ता, रिशु गुप्ता, अभिषेक व सीमा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और सभी को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

सभी आरोपियों से की गई पूछताछ में त्रिकोण प्रेम की सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई.

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के जूही थाना क्षेत्र में एक मोहल्ला है- परमपुरवा. मुसलिम बाहुल्य इसी मोहल्ले की कच्ची बस्ती में अकमल मियां रहते थे. उन की 9 औलादों में 7 बेटे तथा 2 बेटियां थी. सब से बड़ा बेटा शेरू था, जबकि सब से छोटा शालू था. बड़ी बेटी का नाम नसीमा था. भारीभरकम परिवार के गुजरबसर के लिए अकमल मियां ढाबा चलाते थे. ढाबे का संचालन उन का बड़ा बेटा शेरू करता था. अन्य बेटे भी सहयोग करते थे.

शालू का मन न पढ़ाई में लगता था और न ही ढाबे के काम में. अधिक लाड़प्यार की वजह से वह बिगड़ गया था. अकमल घर से सुबह जल्दी ढाबे पर चले जाते थे और देर रात लौटते थे. इसलिए वह शालू पर ध्यान नहीं दे पाते थे.

शालू कम उम्र में ही शराब के साथसाथ शबाब का भी शौकीन हो गया. बाप की इतनी कमाई नहीं थी कि वह उस के जायजनाजायज खर्च पूरे करते, इसलिए अपने नाजायज खर्च पूरे करने के लिए वह अपराध करने लगा.

उस के खिलाफ जूही थाने में एक के बाद एक कई मुकदमे बलवा, लूटपाट व रंगदारी के दर्ज हो गए. थाना जूही पुलिस ने उस की हिस्ट्रीशीट खोल दी.

एक साल पहले एक कुत्ता व्यापारी से रंगदारी वसूलने के जुर्म में पुलिस ने शालू को जेल भेजा था. शालू कानपुर जेल की जिस बैरक में बंद था, उसी बैरक में दर्शनपुरवा निवासी बेटू शुक्ला भी बंद था. चूंकि दोनों अपराधी प्रवृत्ति के थे, अत: उन में गहरी दोस्ती हो गई.

जेल में मिलाई करने बेटू शुक्ला का बहनोई शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू आता था. शिवम भी अपराधी था. वह फजलगंज थाने का हिस्ट्रीशीटर था. बेटू शुक्ला ने शालू का परिचय शिवम मिश्रा से कराया. उस के बाद शालू की दोस्ती शिवम से भी हो गई. शिवम अब शालू को भी जरूरत का सारा सामान जेल में मुहैया कराने लगा.

जमानत पर जेल से छूटने के बाद शालू, शिवम से मिलने उस के घर दर्शनपुरवा आने लगा. शिवम मिश्रा ने अपने अन्य अपराधी साथी अमित, सनी, रिशु व अभिषेक से भी शालू का परिचय करा दिया. इन सभी की सप्ताह में एक या 2 बार जश्न पार्टी होती.

शिवम मिश्रा के घर आतेजाते एक रोज शालू की मुलाकात सीमा से हुई. सीमा शिवम की प्रेमिका थी. वह अकसर उस से मिलने उस के घर आती रहती थी. सीमा दर्शनपुरवा में ही शनि मंदिर के पास अपनी बीमार मां के साथ रहती थी.

घर खर्च चलाने के लिए वह प्राइवेट नौकरी करती थी. सीमा चंचल व मनचली युवती थी. शिवम से उस की पुरानी दोस्ती थी. दोनों के बीच मधुर संबंध थे. शिवम उस की आर्थिक मदद भी करता था.

सीमा सुंदर तो थी ही, दिलफेंक भी थी. अत: सीमा शालू के दिल में उतर गई. वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसाने के लिए तानेबाने बुनने लगा.

शालू ने शिवम के दोस्त रिशु गुप्ता से किसी तरह सीमा का मोबाइल फोन नंबर हासिल किया, फिर वह सीमा से मोबाइल फोन पर बातचीत करने लगा. चूंकि सीमा दिलफेंक युवती थी, सो वह शालू की बातों में रस लेने लगी. यही नहीं, वह अपनी लच्छेदार बातों से शालू को आकर्षित भी करने लगी.

शालू को जब लगा कि सीमा उसे भाव दे रही है तो उस ने एक रोज सीमा से फोन पर बात की और उसे मोतीझील के रमणीक उद्यान में मिलने का अनुरोध किया. सीमा ने उस के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मिलने की हामी भर दी. शालू तब खुशी से झूम उठा. वह सजसंवर कर शाम 4 बजे मोतीझील पहुंच गया.

कुछ देर बाद सीमा भी वहां आ गई. दोनों मोतीझील की मखमली घास पर बैठ कर रस भरी बातें करने लगे. बातें करतेकरते अचानक शालू ने सीमा का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला, ‘‘सीमा, मैं तुम से बेहद मोहब्बत करता हूं. तुम्हारे बिना अब मुझे सब कुछ सूनासूना सा लगता है. मेरी मोहब्बत को कुबूल कर लो.’’ कहते हुए शालू, सीमा की आंखों में झांकने लगा.

सीमा कुछ पल मौन रही फिर बोली, ‘‘शालू, आई लव यू टू. मैं ने तो तुम्हें उसी दिन अपने दिल में बसा लिया था, जिस दिन हमारीतुम्हारी पहली मुलाकात हुई थी.’’

‘‘सच सीमा?’’ कहते हुए शालू ने सीमा को गले लगा लिया.

इस के बाद सीमा और शालू का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों साथसाथ घूमने लगे और मौजमस्ती करने लगे. उन के बीच की दूरियां भी मिट गईं. शालू अब सीमा के घर भी जाने लगा. कभीकभी वह रात में उस के घर भी रुक जाता.

चूंकि शालू सीमा की आर्थिक मदद करता था और उस की बीमार मां का इलाज भी करवाने लगा था. अत: सीमा की मां भी उस के घर आने पर ऐतराज नहीं जताती थी.

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