23 अक्तूबर, 2018 की सुबह 5 बजे का समय था. गांव के लोग नींद से जाग कर दैनिककार्यों में लग गए थे. इसी बीच किसी के रोने चिल्लाने की आवाजें सुनाई देने लगीं. आवाजें संतोषी के घर से आ रही थीं. संतोषी अपने घर के बाहर बैठी थी, जमीन पर उस की 13 साल की बेटी अर्चना की लाश पड़ी थी.

गांव वालों ने पास जा कर देखा तो अर्चना की अचानक मौत से हतप्रभ हुए. लोगों ने संतोषी से पूछा तो उस ने बताया कि अर्चना के गले का कैंसर फट गया है. जब गांव के लोग एकत्र हुए तो उन के बीच तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं. वजह यह थी कि अर्चना के गले पर तेज धारदार हथियार के निशान नजर आ रहे थे. यह घटना हरदोई जिले के सांडी थाना क्षेत्र के गांव नेकपुर में घटी थी.

इसी बीच किसी गांव वाले ने इस की सूचना सांडी थाने को दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी अरुणेश गुप्ता पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया तो गले में पतले फल वाले किसी धारदार हथियार से गला रेते जाने के निशान मिले.

जब इंसपेक्टर ने गला रेत कर हत्या किए जाने की बात बताई तो संतोषी बोली, ‘‘साहब, पिछले कुछ दिनों से अर्चना को गले का कैंसर था. मैं समझ रही थी कि वही कैंसर फट गया है. मैं और मेरे तीनों बेटे घर के बाहर बनी दोनों दुकानों में सो रहे थे. अर्चना अंदर कमरे में सो रही थी. सुबह जब मैं अंदर गई तो यह मरी पड़ी थी, गले से खून बह रहा था. मैं समझी इस का कैंसर फट गया है. मैं इसे उठा कर बाहर ले आई.’’

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