देश भर में विकास हो रहा है, रेल की पटरियों पर इंजन की तरह दौड़ता विकास गांव, कस्बों, शहरों और महानगरों का विकास कागजों पर खड़ी इमारतों, सड़कों और कारखानों का विकास शहरों, महानगरों और कस्बों में भले ही दिख जाए, लेकिन गांवों में कम ही जगहों पर विकास के चरण कमल पड़े नजर आएंगे.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 60 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले का गांव हिंदूपुर ऐसा ही गांव है जहां अभी तक विकास नाम की योजना की हवा नहीं गई है.

हिंदूपुर में गरीबों की बस्ती दूर से ही नजर आती है. गांव में प्रवेश के 2 रास्ते हैं. सड़क भी गांव से कुछ दूर है. गांव के एक ओर 20 साल की नंदिनी (बदला हुआ नाम) का घर है. वह 5 बहनों और 2 भाइयों में सब से छोटी थी. विश्वकर्मा बिरादरी की नंदिनी का घर गांव के गरीब परिवारों में आता था. कच्ची दीवारें और धान के पुआल से बने छप्पर वाला घर.

नंदिनी पढ़ाई में तेज थी. उत्तर प्रदेश में जब सपा का शासन था और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे तब उसे मेधावी छात्रा के रूप में कक्षा 12 पास करने के बाद लैपटौप उपहार में दिया गया था. नंदिनी के घर के सामने ही एक मंदिर बना था, यहीं पर शिवम त्रिवेदी का अकसर उठनाबैठना होता था. शिवम गांव के प्रभावशाली ब्राह्मण परिवार का था. वह घंटों तक यहीं अपना समय गुजारता रहता था.

शिवम नंदिनी के घरपरिवार की मदद भी करता रहता था. इस मदद की एक बड़ी वजह नंदिनी थी, जिसे वह मन ही मन पसंद करने लगा था. यह बात शिवम के परिवार के लोगों को पसंद नहीं थी. जैसेजैसे गांव में शिवम और नंदिनी की दोस्ती आगे बढ़ रही थी, शिवम के परिजन उस का विरोध करने लगे थे.

एक दिन की बात है शिवम और नंदिनी मंदिर पर बैठ कर बातें कर रहे थे. यह बात शिवम की मां को पता चली तो वह अपने छोटे बेटे शुभम के साथ वहां आई और लड़की को बुराभला कहना शुरू कर दिया.

शिवम के घर वालों ने जब नंदिनी को भलाबुरा कहना शुरू किया तो नंदिनी ने भी उन्हें इसी तरह जवाब दिया. यह बात शिवम के भाई शुभम को बुरी लगी. उस ने नंदिनी के साथ झगड़ा शुरू कर दिया. झगड़े के दौरान शिवम पूरी तरह चुप रहा. झगड़े के बाद शिवम के घर वालों ने उसे नंदिनी से दूर रहने की सलाह दी.

शिवम ने भी घर वालों की बात मानते हुए नंदिनी से बात करनी बंद कर दी. कुछ दिन शिवम नंदिनी से दूर रहा भी, लेकिन यह दूरी ज्यादा समय तक बनी नहीं रह पाई. नंदिनी शिवम से शादी करना चाहती थी, इसलिए वह शिवम पर शादी करने का दबाव बनाने लगी.

शिवम घर वालों और नंदिनी के बीच फंसा रहा. आखिर नंदिनी के दबाव में 19 जनवरी, 2018 को नोटरी शपथपत्र के जरिए शिवम त्रिवेदी ने नंदिनी से शादी कर ली. दोनों ने शादी तो कर ली लेकिन अब उन के सामने समस्या यह थी कि गांव और घर के लोगों को अपनी शादी की बात कैसे बताएं.

शादी के बाद दोनों अपने गांव से दूर रायबरेली शहर के साकेतनगर में रहने लगे. जब घर वालों को पता चला तो रायबरेली पहुंच कर उन्होंने शिवम को समझाया. शिवम घर वालों के दबाव में आ गया. इस के बाद वह शादी से मुकरने लगा. बस यहीं से नंदिनी और शिवम के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे. मामला थाना, कोर्टकचहरी तक पहुंच गया.

पुलिस और प्रशासन ने नहीं सुनी फरियाद

शिवम पर कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा तो वह परेशान हो गया. नंदिनी ने शिवम पर जो आरोप लगाए उस के अनुसार झगड़े के बाद शिवम सुलह और शादी कराने के लिए उसे एक मंदिर में ले गया.

लेकिन मंदिर में पहले से कई लड़के मौजूद थे. शिवम और उस के साथियों ने वहीं पर नंदिनी के साथ गैंगरेप किया. इतना ही नहीं, उन्होंने उसे चुप रहने की धमकी भी दी. अपने साथ हुए इस धोखे पर नंदिनी ने भी सोच लिया कि वह अब चुप नहीं बैठेगी. उस ने मामला पुलिस में ले जाने और शिवम को सजा दिलाने की ठान ली.

12 दिसंबर, 2018 को नंदिनी रायबरेली जिले की लालगंज कोतवाली पहुंची और आपबीती सुना कर शिवम व उस के साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की दरख्वास्त की, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया. तब 8 दिन बाद 20 दिसंबर को नंदिनी ने एसपी रायबरेली को रजिस्टर्ड डाक से अपना शिकायती पत्र भेजा. इस की भी कोई सुनवाई नहीं हुई.

पुलिस उस की शिकायत पर काररवाई क्यों नहीं कर रही थी, यह बात वह नहीं समझ सकी. पुलिस से निराश हो कर पीडि़त नंदिनी ने रायबरेली में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट की कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने के लिए पत्र दिया. 10 जनवरी, 2019 को मजिस्ट्रैट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया.

26 फरवरी, 2019 को पुलिस को कोर्ट की अवमानना का नोटिस दिया गया. तब पुलिस ने दबाव में आ कर मजबूरी में 5 मार्च, 2019 को मुकदमा दर्ज किया. फिर भी कोई काररवाई नहीं हुई तो नंदिनी ने मुख्यमंत्री से शिकायत की. फलस्वरूप 22 सितंबर को शिवम ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.

पुलिस के देर से मुकदमा दर्ज करने और धीमी गति से जांच के चलते शिवम को जल्दी जमानत मिल गई. जमानत देने के पहले कोर्ट ने नंदिनी से कोई संपर्क नहीं किया. 30 नवंबर, 2019 को जब शिवम जेल से छूट कर गांव पहुंचा तो उस के जेल से आने की खुशी में मिठाइयां बंटने लगीं.

नंदिनी को हैरानी हुई कि शिवम इतनी जल्दी जमानत पर जेल से बाहर कैसे आ गया. उस ने अपने परिवार से यह बात बताई और कहा कि कल वह रायबरेली जा कर अपने वकील से मिल कर पता करेगी कि यह कैसे हो गया है? रायबरेली जाने के लिए नंदिनी को सुबह 5 बजे कानपुर से रायबरेली जाने वाली टे्रन पकड़नी थी.

नंदिनी नहीं पहुंच पाई स्टेशन

3 दिसंबर, 2019 की सुबह नंदिनी ट्रेन पकड़ने के लिए अपने घर से निकली. घर से स्टेशन करीब 2 किलोमीटर दूर था. नंदिनी सुबह 4 बजे जब अपने घर से निकली. तब जाड़े का समय था. रास्ते में अंधेरा भी था. नंदिनी के पिता ने उसे स्टेशन छोड़ने के लिए कहा तो उस ने बूढ़े पिता की परेशानी को देखते हुए मना कर दिया. वह अकेली ही घर से निकल गई.

गांव से स्टेशन के रास्ते में कुछ रास्ता ऐसा था, जो सुनसान रहता था. इसी जगह पर नंदिनी पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी गई. नंदिनी खुद को बचाने के लिए मदद के लिए दौड़ रही थी. जली हालत में खुद को बचाने के लिए नंदिनी दौड़ी तो आग और भड़क गई. उस के कपड़े जल कर उस के जिस्म से चिपक गए थे.

रास्ते में एक जगह कुछ लोग दिखे तो नंदिनी वहीं गिर पड़ी. नंदिनी के कहने पर रास्ते में मिले लोगों ने डायल 112 को फोन कर के जानकारी दी. बुरी तरह जली नंदिनी ने वहां पहुंची पुलिस को और बाद में प्रशासन को बताया कि उस के ऊपर मिट्टी का तेल डाल कर जलाने वाले शिवम और उस के साथी थे.

90 फीसदी जली हालत में नंदिनी को पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ले जाया गया. लेकिन उस की गंभीर हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. 3 दिन जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद आखिर नंदिनी ने दम तोड़ दिया. पूरे इलाज के दौरान नंदिनी की बहन और मां लखनऊ से ले कर दिल्ली तक साथ रहीं. उन्होंने उसे तिलतिल कर मरते देखा.

नंदिनी के पिता को दुख है कि घटना के दिन वह उसे स्टेशन तक छोड़ने नहीं गए. नंदिनी खुद अपनी लड़ाई लड़ रही थी. इसलिए वह बेटी के साथ नहीं गए थे. इस के पहले वह उसे स्टेशन तक छोड़ने जाते थे. शिवम द्विवेदी और दूसरे आरोपियों के परिवार के लोग इस घटना के संबंध में तर्क देते हुए कहते हैं कि गुनाह उन के घर वालों ने नहीं किया. उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है.

परिवार के लोग कहते हैं कि नंदिनी को जलाने की घटना जिस समय की है, उस समय उन के लड़के घरों में सो रहे थे. पुलिस ने उन को सोते समय घर से पकड़ा है. अगर उन्होंने अपराध किया होता तो आराम से घर में नहीं सो रहे होते.

शिवम के घर वालों का कहना है कि जब नंदिनी को शिवम से मिलने पर रोक लगा दी गई थी तो उस ने रेप का मुकदमा लिखा कर शिवम और उस के करीबियों को जेल भिजवाने की धमकी दी थी. उन्होंने नंदिनी और शिवम के रायबरेली में रहने की बात से खुद को अनजान बताया.

इन के समर्थक बताते हैं कि जेल से शिवम के छूटने के बाद लड़की ने उसे फिर से जेल भिजवाने की धमकी दी. इस के बाद खुद ही मिट्टी का तेल डाल कर खुद को जलाया. ये लोग सोशल मीडिया पर  इस बात का प्रचार भी कर रहे हैं कि शिवम को फंसाने और जेल भिजवाने के नाम पर लड़की 15 लाख रुपए मांग रही थी. इस में से 7 लाख रुपए शिवम के परिवार वाले दे भी चुके थे.

लड़की के भाई का कहना है कि उस की बहन पढ़लिख कर परिवार की मदद करना चाहती थी. शिवम के संपर्क में आ कर उसे इस स्थिति का सामना करना पड़ा. कानून मानता है कि मरते समय दिया बयान सत्य माना जाता है. सवाल यह उठता है कि नंदिनी जली अवस्था में निर्दोषों को क्यों फंसाएगी? उस समय तक नंदिनी यह समझ चुकी थी कि उस की मौत तय है.

वह सब से पहले अपने साथ हुई घटना की गवाही देना चाहती थी, जिस की वजह से उस ने पुलिस और प्रशासन को बयान दिया. नंदिनी और शिवम के बीच विवाह का नोटरी शपथपत्र हर बात को साफ करता है. नंदिनी के परिजन पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि पुलिस ने किसी हालत में उन की मदद नहीं की.

रेप के मामलों में उन्नाव आया चर्चा में

उत्तर प्रदेश उन्नाव रेप को ले कर पहले भी चर्चा में रहा है. भाजपा के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के समय मामला राजनीतिक था. अब दूसरी घटना में लड़की को जलाने के बाद मामला राजनीतिक कम सामाजिक ज्यादा बन गया है. एक तरफ समाज के लोग लड़की और उसे दिए गए संस्कारों को जिम्मेदार मान रहे हैं.

उन्नाव में रेप की दूसरी घटना के चर्चा में आने के बाद विपक्ष को सत्तापक्ष को घेरने का पूरा मौका मिल गया. लोकसभा में बहस और हंगामा कर मांग की गई कि महिला सुरक्षा दिवस मनाया जाए. उत्तर प्रदेश की विधानसभा के बाहर प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव धरने पर बैठ गए. उन की पार्टी ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार को घेरने का काम किया.

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा लखनऊ के 2 दिन के दौरे से वक्त निकाल कर उन्नाव में नंदिनी के घर वालों से मिलने गईं. इस से एक बार फिर रेप की घटना चर्चा में आ गई. प्रदेश सरकार ने मामले को हलका करने के लिए लड़की के घर वालों को मुआवजा देने का काम किया.

योगी सरकार ने नंदिनी के घर वालों को 25 लाख रुपए की आर्थिक मदद, गांव में 2 मकान और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया.

उन्नाव के मामले के बाद तमाम ऐसी घटनाएं प्रकाश में आने लगीं. इन घटनाओं से समाज की हकीकत का पता चलता है. इस बार रेप कांड सामाजिक है. समाज उन्नाव जिले की घटना को प्रेम प्रसंग मान कर दरकिनार कर रहा है. नंदिनी की मौत के बाद गांव का माहौल गमगीन है. पूरा गांव 2 पक्षों में बंट चुका है. दोनों पक्षों की अलगअलग राय भी है.

नंदिनी के मरने के बाद उस के घर वालों ने नंदिनी का दाह संस्कार या उसे नदी में प्रवाहित करने से इनकार कर दिया. उन्होंने प्रशासन से कहा कि एक बार जल चुकी नंदिनी का दोबारा दाहसंस्कार नहीं करेंगे. इस की जगह उसे दफनाया जाएगा. ऐसा ही हुआ. सरकार ने पूरे मामले में लापरवाही बरतने वाले दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया.

—नंदिनी और उससे जुड़े नाम बदले हुए हैं

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