UP News : दिल्ली के अशोक वाल्मिकी ने जब 38 वर्षीय पत्नी मीनाक्षी से महाकुंभ जाने की बात कही तो वह फूली नहीं समा रही थी, क्योंकि महाकुंभ की भव्यता का दर्शन कर उस की दिली इच्छा भी त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने की थी. लेकिन अशोक के मन में तो कुछ और ही चल रहा था. उस ने प्रयागराज ले जा कर एक लौज में पत्नी की गरदन काट कर हत्या कर दी. आखिर अशोक ने ऐसा क्यों किया?

पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में रहने वाली मीनाक्षी घरेलू समस्याओं और उलझनों को ले कर कुनमुनाई हुई थी. घर की छोटी सी रसोई में खाना पकाते समय बारबार उस के हाथ से बरतन छूट जा रहे थे. वह चिढ़ती हुई बुदबुदा रही थी, ''मैं यहीं रसोई में सड़ रही हूं... एक दिन यहीं मरखप जाऊंगी...सभी कुंभ जा रहे हैं...जब से वो हरामजादी आई है, तब से मेरा जीवन और नरक बन गया है. आज आने दो उस को साफसाफ कह दूंगी वैशाली या फिर मैं...’’

घर में अशोक के आने की आहट होते ही मीनाक्षी और भी तेज आवाज में बोलने लगी. बोलतेबोलते वह आक्रामक हुई जा रही थी. बारबार वैशाली का नाम ले रही थी. आखिर अशोक से रहा नहीं गया. बोला, ''तुम बारबार मुझ पर शक करती हो, मैं किसी वैशाली को नहीं जानता.’’

''खाओ मेरी कसम! रखो बच्चों के सिर पर हाथ और कहो कि मेरा वैशाली से कोई चक्कर नहीं है.’’

''हांहां सौगंध लूंगा, लेकिन यहां नहीं गंगा में तुम्हारे साथ खड़े हो कर.’’ अशोक बोला.

''गंगा स्नान को ले कर जाओगे तब न,’’ मीनाक्षी बोली.

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