Honeytrap Gang बलोदा बाजार भाटापारा के इस हनीट्रैप गैंग में एडवोकेट से ले कर पत्रकार तक शामिल थे. ये लोग शहर के नामी व्यक्तियों को अपने जाल में इतनी आसानी से फांस लेते थे कि शिकार को लाखों रुपए ढीले करने पर मजबूर होना पड़ता था. जैसे ही यह बात पुलिस तक पहुंची तो...

रघुवीर सहाय की जब से कोमल से फेसबुक पर फ्रेंडशिप हुई थी, वह बहुत बेचैन हुए जा रहा था. वह उस से मिलने के लिए लालायित था. रघुवीर सहाय ने आखिर एक दिन कोमल से रिक्वेस्ट करते हुए कह दिया, ''हां तो कोमलजी, हम लोग कब मिल रहे हैं?’’

''मिलेंगे, मगर आप इतना जल्दी क्यों कर रहे हैं?’’ दूसरी तरफ से इठला कर कोमल ने कहा.

''देखो भाई, आज हम मिलें या फिर कल, मिलना तो है. ऐसे में आज के काम को आज ही क्यों न निपटा लें.’’

''वाह! आप का तो कोई जवाब नहीं. आप से बातों में मैं भला कहां जीत पाऊंगी.’’ कोमल ने कहा तो रघुवीर सहाय हंसते हुए बोला, ''तो फिर ठीक है, बताओ कहां आऊं?’’

''ठीक है, मैं आप को एक घंटे में बताती हूं कि हम को कहां मिलना चाहिए.’’

''ओके... जरा जल्दी बताना. मैं तुम से मिलने को बेताब हूं.’’

यह सुन कर कोमल हंसने लगी फिर बोली, ''अभी 4 दिन ही तो हुए हैं हमें फेसबुक पर मुलाकात किए हुए और आप इतनी जल्दी मिलना चाहते हैं. सच कहूं तो मैं भी आप से मिलने को आतुर हूं. मगर...’’ यह बात कर के कोमल चुप हो गई.

''कहो न क्या बात है, तुम्हारी

यही अदा मुझे बहुत अच्छी लगती

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