संगीता 16 जनवरी, 2017 की शाम को नौकरी से घर पहुंची तो उस के दोनों बच्चे चारपाई पर बैठे रो रहे थे. डेढ़ साल की बेटी काजल जोरजोर से रो रही थी, जबकि 4 साल का राहुल सिसकते हुए उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था. संगीता ने काजल को उठा कर सीने से लगाया और दूसरे हाथ से राहुल की आंखें पोंछते हुए 8 साल के बेटे दीपू को आवाज दी. दीपू नहीं बोला तो संगीता काजल को गोद में लिए बड़बड़ाते हुए घर के बाहर आ गई. उस ने गली में खेल रहे बच्चों से दीपू के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि आज वह उन्हें दिखाई नहीं दिया. खीझ कर वह लौट आई और बड़बड़ाते हुए घर के कामों में लग गई. साढ़े 7 बजे तक घर के काम निपटा कर संगीता खाली हुई तो एक बार फिर दीपू की तलाश में निकल पड़ी.
काफी तलाश के बाद भी जब उस का कुछ पता नहीं चला तो उसे चिंता हुई. अब तक अंधेरा भी घिर आया था. ऐसे में दीपू का न मिलना उसे बेचैन करने लगा था. संगीता घर के बाहर खड़ी सोच रही थी कि अब वह दीपू को कहां ढूंढे, तभी सामने से पति दिलीप कुमार को आते देख कर उसे थोड़ी राहत महसूस हुई. पत्नी के चेहरे पर परेशानी के बादल मंडराते देख दिलीप ने पूछा, ‘‘क्या हुआ, यहां क्यों खड़ी हो?’’
‘‘दीपू पता नहीं कहां चला गया है. मैं ने उसे सब जगह तलाश लिया है, उस का कुछ पता नहीं चल रहा है.’’