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सारा सामान जुटाने के बाद लाश को कमरे से जुड़े बाथरूम में ले जा कर आरी से कई टुकड़े काटे. हाथपैर और धड़ के 35 टुकड़े किए. फिर वह पौलीथिन में पैक कर फ्रिज में रख दिए. रूम फ्रेशनर को कमरे में फैला दिया. थोड़े से पानी भरे बरतन में गुलाब की पंखुड़ी डाल कर वह बरतन बालकनी में रख दिया, ताकि कमरे से बदबू नहीं आए.

उस के बाद उस ने 18 दिनों तक यानी 5 जून तक श्रद्धा के 35 टुकड़ों में कटी लाश को ठिकाने लगाता रहा. वह टुकड़ों को बैग में डाल कर रोजाना आधी रात में महरौली के जंगल के अलगअलग हिस्से में फेंकता रहा.

पुलिस की छानबीन से पाया गया कि उस ने करीब 20 किलोमीटर के दायरे में तमाम टुकड़े फेंके थे. उस ने 100 फुटा एमबी रोड, श्मशान के पास के नाले, महरौली के जंगल और छतरपुर में धान मिल परिसर में ये टुकड़े फेंके थे.

जब तक फ्रिज में लाश रखी रही, तब वह औनलाइन खाना मंगा कर खाता रहा. बचा हुआ खाना भी उसी फ्रिज में रखता था, जिस में प्रेमिका की लाश के टुकड़े रखे थे. जब कभी उसे श्रद्धा के साथ गुजारे गए हसीन पलों की याद आती तो फ्रिज में रखे उस के सिर को बाहर निकाल कर गालों को स्पर्श कर लेता था.

फ्लैट में वह सामान्य तरह की दिनचर्या का पालन कर रहा था. जब तक लाश के टुकड़ों को ठिकाने नहीं लगा देता, तब तक नहीं सोता था. हालांकि लाश को काटते हुए आरी से उस का भी हाथ कट गया था. उस की मरहमपट्टी के लिए पास के ही डा. अनिल कुमार की क्लिनिक पर गया था.

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