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हडक़ाया डीसीपी सतीश कुमार को...

इन में से एक युवक ट्रेनिंग हाल में 11 युवकों और एक युवती को लेक्चर देता मिला था, उस ने अपना नाम आशीष चौधरी बताया. वह बड़े रोबदार आवाज में डीसीपी सतीश कुमार को हडक़ाते हुए बोला, ‘‘आप नहीं जानते मैं कौन हूं. मैं गृह मंत्रालय के डिपार्टमेंट औफ क्रिमिनल इंटेलिजेंस में डीसीपी हूं. मुझ पर हाथ डालना आप लोगों को महंगा पड़ जाएगा.’’

एक बार को डीसीपी सतीश कुमार भी चकरा गए. यह व्यक्ति सच बोल है या झूठ, वह निर्णय कर पाते उस से पहले ही स्पैशल सीपी रविंद्र यादव ने आशीष चौधरी के गरेबान पर हाथ डाल दिया. वह आशीष चौधरी को घूरते हुए बोले, ‘‘हमारे साथ क्राइम ब्रांच के औफिस चलो... वहां बताना तुम कौन हो.’’

आशीष चौधरी चीखता रहा, तरहतरह की धमकियां देता रहा, लेकिन उस की नहीं सुनी गई. उसे इंसपेक्टर अभिजीत और एसआई इंद्रवीर सिंह ने जबरन पुलिस वैन में बिठा लिया. दूसरे लोगों को भी पुलिस वैन में बिठा कर उस जगह को ताला लगा दिया गया. यह क्राइम ब्रांच की टीम पहले इन लोगों की असलियत जान लेना चाहती थी, तभी इस ट्रेनिंग सेंटर की तलाशी का काम शुरू होता. इन्हें क्राइम ब्रांच के औफिस में लाया गया.

यहां खुद को गृह मंत्रालय में क्रिमिनल इंटेजिलेस में डीसीपी बता रहे आशीष चौधरी से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस की सारी हेकड़ी धरी की धरी रह गई. उस ने स्वीकार किया कि वह गृह मंत्रालय के नाम पर फरजी ट्रेनिंग सेंटर चला रहा था. आशीष ने बताया कि वह 7वीं क्लास तक पढ़ा है. शुरू से ही वह बहुत महत्त्वाकांक्षी था, ढेर सारा रुपया कमाना चाहता था. कम शिक्षा की बदौलत सरकारी जौब तो वह पा नहीं सकता था, लेकिन सरकारी दफ्तर खोल कर जरूर बैठ सकता था.

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