UP Crime News: गोरखपुर में स्थित एक अस्पताल के संचालक अशोक जायसवाल के दिलोदिमाग से किडनैप की छाप मिटने का नाम ही नहीं ले रही थी. पहले उन के बिजनैसमैन पिता को किडनैपर्स ने मोटी रकम ले कर छोड़ा. उस के बाद उन के बड़े भाई का किडनैप हो गया. उन्हें भी मोटी रकम दे कर किडनैपर्स से छुड़ाया गया. इन दोनों घटनाओं से वह उबर पाते, उस से पहले ही 8 करोड़ रुपए की फिरौती के लिए अशोक जायसवाल का ही किडनैप हो गया. क्या उन की पत्नी डा. सुषमा जायसवाल ने किडनैपर्स को यह रकम दी या फिर…
गोरखपुर मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर स्थित है थाना सिकरीगंज. गांव अबू पट्टी इसी थानाक्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है. यह गांव मुसलिम बाहुल्य के रूप में जाना जाता है. गांव के अधिकांश युवा खाड़ी देशों में जौब कर के अच्छा पैसा कमाते हैं. यही देख इसी गांव का रहने वाला 35 वर्षीय कमालुद्दीन अहमद उर्फ कमालु का भी सपना ढेरों पैसे कमाने का था. अमीर बनने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता था. छोटीमोटी चोरियां कर के उस ने जरायम की दुनिया के रोजनामचे पर अंगद की तरह मजबूती से पांव जमा कर पुलिस की नाक में दम कर दिया था.
खतरनाक असलहों और लड़कियों के शौकीन कमालु ने 3 शादियां की थीं, जिन में 2 लड़कियां हिंदू और एक मुसलिम थी. दोनों हिंदू लड़कियों में से एक कमालु की छाया बन कर हर वक्त उस के साथ रहती थी. वही उस के नाम से इंस्टाग्राम चलाती और उस के गुनाहों का बहीखाता संभालती. वह लड़कियों की तस्करी भी करता था, तभी तो उस की पुलिस से ले कर राजनेताओं के बीच में गहरी पैठ बन गई थी. इसलिए वह पुलिस के चंगुल में आसानी से फंसता नहीं था.
बात मई, 2025 की है. शाम के 5 बजे का वक्त था. कमालु अपने घर के डाइनिंग रूम में सोफे पर बैठा हुआ था. सामने लकड़ी की बनी छोटी मेज पर कांच की प्याली में चाय रखी थी, जिसे वह चुस्की ले कर पी रहा था. तभी उस के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उस ने दाहिने हाथ में मोबाइल उठा कर नंबर को गौर से देखा, वह उस के परिचित प्रदीप सोनी का था. काल रिसीव कर वह अदब से बोला, ”बताएं सोनीजी, आज इस नाचीज की कैसे याद आई?’’
”कुछ खास काम था तुम से.’’
”मेरे से खास काम..!’’ चौंकते हुए कमालु ने सवाल किया, ”बताएं…बताएं, क्या खास काम है?’’
”एक मोटी आसामी कटने को तैयार है. बोलो, टास्क पूरा करोगे?’’
”कीमत?’’
”8 करोड़.’’
”8 करोड़.’’ सुन कर कमालु ऐसे चौंका, जैसे उसे सैकड़ों बिच्छुओं ने एक साथ डंक मारे हों.
”आसामी मोटी और बड़ी है. 8 करोड़ की रकम उस के घर में रखी है, मगर मेरी एक शर्त है.’’ प्रदीप शख्स ने कहा.
”हां, बोलो भाईजान. कैसी शर्त है?’’
”पहली शर्त तो यह कि कुछ भी हो जाए, इस में मेरा नाम सामने नहीं आना चाहिए. दूसरी शर्त टास्क पूरी होने के बाद फिरौती की रकम में से आधा हिस्सा मेरा. बोलो, मेरी दोनों शर्तें मंजूर हैं तुम्हें?’’
”हां, 100 फीसदी डील पक्की समझो. बस मुझे मेरे शिकार का पता दे दो.’’
”वह है पादरी बाजार स्थित अंशुमान हौस्पिटल का डायरेक्टर और सेना से रिटायर जवान अशोक जायसवाल. उस की पत्नी डा. सुषमा जायसवाल है. एक बेटी और एक बेटा है, जो शहर से बाहर रहते हैं. घर पर मियांबीवी के अलावा तीसरा कोई नहीं रहता है. अपनी फिटनैस के लिए वह रोज सुबह साढ़े 5 बजे साइकिल से जेल रोड बाईपास से होते हुए रेलवे स्टेडियम में जौगिंग और स्वीमिंग करने अकेला जाता है.’’
प्रदीप सोनी ने शिकार का पूरा हुलिया और उस के आनेजाने की पूरी खबर कमालु को दे दी. सारी जानकारी पा कर कमालु की खुशियों का ठिकाना नहीं था. वह इस टास्क को पूरा करने लिए जीजान लगाने के लिए तैयार था. कमालु के पास 8-10 सदस्यों का गैंग था. करुणेश कुमार दुबे उस का सब से विश्वासपात्र था. यूं कहें कि वह उस का दाहिना हाथ था. करुणेश बेलाघाट थाने के शंकरपुर स्थित चौतरा पट्टी का रहने वाला था. कमालु की तरह वह भी कम समय में अमीर बनने के सपने देखा करता था. बाद में वह कमालु के गैंग का सक्रिय सदस्य बन गया.
ऐसे किया किडनैप

अस्पताल के डायरेक्टर अशोक जायसवाल का किडनैप करने का टास्क मिलने के बाद कमालु करुणेश के साथ उस की रेकी के काम में जुट गया. पूरे 2 महीने तक रेकी करने के बाद जब उन्हें लगा कि अब टास्क पूरा करने का समय आ चुका है, तब कमालु ने इस काम को अंजाम देने के लिए अपने और साथियों श्याम सुंदर उर्फ गुड्डू यादव, जनार्दन गौड़, प्रीतम कुमार, अंश कुमार और शेरू सिंह को सक्रिय किया.

योजना तैयार होने के बाद 25 जुलाई, 2025 को शिकार को टारगेट बनाने की बुनियाद रखी. शातिर कमालु ने गिरोह के सदस्यों को 2 टीमों में बांट दिया, ताकि कोई मुसीबत आने पर सभी साथी सुरक्षित निकल कर भागने में सफल रहें. पहली टीम में उस ने श्यामसुंदर, जनार्दन गौड़ और करुणेश दुबे को रखा था. जबकि दूसरी टीम में वह खुद, प्रीतम कुमार, शेरू सिंह और अंश कुमार को रखा था.
25 जुलाई, 2025 की भोर के 4 बजे एक कार में सवार हो कर श्यामसुंदर, जनार्दन गौड़ और करुणेश दुबे कौआबाग अंडरपास पहुंचे. कार श्यामसुंदर चला रहा था. कार एक साइड में लगा कर तीनों उस में से निकल कर थोड़ीथोड़ी दूरी पर फैल गए थे, ताकि किसी को उन पर शक न हो. अंडरपास के दूसरी ओर कमालु कार ले कर खड़ा था, जिस में प्रीतम कुमार, शेरू सिंह और अंश कुमार सवार थे.
ठीक साढ़े 5 बजे साइकिल पर सवार हो कर अशोक जायसवाल कौआबाग पुलिस चौकी होते हुए अंडरपास की ओर आते दिखाई दिए. उन्हें आते हुए देख कर करुणेश, जनार्दन और श्यामसुंदर सतर्क हो गए. जैसे ही अशोक अंडरपास के पास पहुंचे, अचानक उन की साइकिल के सामने करुणेश आ गया और उन की साइकिल रोक कर पता पूछने के बहाने अपनी बातों में उलझा लिया. तब तक वहां श्यामसुंदर और प्रीतम भी पीछे से आ गए और अशोक को धक्का दे कर साइकिल से नीचे गिरा दिया.
अशोक जायसवाल साइकिल सहित नीचे गिर गए. वह खुद को संभाल पाते या कुछ समझ पाते, इतने में तीनों ने उन्हें दबोच कर कार की पिछली सीट पर डाल दिया. अशोक को बीच में बैठा कर उन्होंने उन की आंखों पर पट्टी बांध दी. टारगेट पूरा होने की सूचना जैसे ही कमालु को मिली, वह खुशी से झूम उठा और अपनी कार ले कर करुणेश की कार के पीछे लगा दी. इधर अशोक जायसवाल को घर से निकले करीब 4 घंटे बीत चुके थे. वह अब तक घर नहीं पहुंचे थे. यह देख कर उन की पत्नी डा. सुषमा जायसवाल परेशान हो गई थीं कि कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्हें घर लौटने में इतनी देर लगे. जौगिंग कर के वह 2 घंटे में घर लौट आते थे, फिर आज कहां रह गए. उन का फोन भी लगातार स्विच्ड औफ आ रहा था.
पति का फोन लगातार बंद आने पर डा. सुषमा को किसी अनहोनी की आशंका हुई. मन में बुरेबुरे खयालों के काले बादल उमडऩे लगे. अभी वह इन्हीं खयालों के मकडज़ाल में उलझी हुई थीं कि उन के फोन की घंटी घनघना उठी. डिसप्ले पर उभर रहा नंबर अननोन था. हिम्मत कर के डा. सुषमा ने वह कौल रिसीव किया, ”हैलो! कौन?’’
”क्या मेरी बात डौक्टर सुषमा जायसवाल से हो रही है?’’ दूसरी ओर से रौबीली आवाज कान के परदे से टकराई.
”हां, मैं सुषमा जायसवाल हूं. बताइए, क्या बात है?’’
”सुन डौक्टरनी, तेरा पति अशोक मेरे कब्जे में है. उसे जिंदा और सहीसलामत देखना चाहती है तो 8 करोड़ रुपए तैयार कर के रखना. दोबारा फोन करूंगा तो बताऊंगा कि रुपए कब और कहां ले कर आना है. और हां, जरा भी होशियारी करने की कोशिश मत करना, वरना तेरे पति को खलास कर दूंगा, रोती रहना जिंदगी भर. समझी. यह भी सुन ले, पुलिस के पास जाने की गलती कतई मत करना, वरना इस के शरीर के इतने टुकड़े करूंगा कि तेरे को जोडऩे में जिंदगी बीत जाएगी, समझी. चल, पैसों के इंतजाम में जुट जा.’’ फोन करने वाले ने सुषमा को धमकी दी. धमकी करुणेश ने दी थी.
8 करोड़ की मांगी फिरौती
पति के किडनैप होने की सूचना पाते ही डा. सुषमा घबरा गईं. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? किडनैपर ने पति को आजाद करने के बदले में 8 करोड़ रुपयों की डिमांड की थी. ये 8 करोड़ रुपए कहां से आएंगे? काफी सोचविचार कर डा. सुषमा जायसवाल अपने बहनोई को साथ ले कर शाहपुर थाने पहुंचीं. इंसपेक्टर नीरज राय को उन्होंने पति के किडनैप से ले कर बदमाशों द्वारा फिरौती में 8 करोड़ की रकम मांगने की बात बताई.

डा. सुषमा के मुंह से किडनैपर्स द्वारा फिरौती की 8 करोड़ की रकम सुन कर इंसपेक्टर नीरज राय चौंक पड़े. यह सूचना उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को दी तो पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया और आननफानन में सीमा के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को सील करा कर बैरिकेड्स लगा कर वाहनों की जांच शुरू करने के आदेश दे दिए गए, लेकिन बदमाश पुलिस की पकड़ से बहुत दूर जा चुके थे. रिटायर्ड एयरफोर्स जवान और अस्पताल संचालक अशोक जायसवाल के किडनैप केस को एसएसपी राजकरन नैयर ने गंभीरता से लिया. उन्होंने एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी के नेतृत्व में पुलिस की 4 टीमें बनाईं और उन्हें बदमाशों को पकडऩे के लिए रवाना किया.
पुलिस के लिए यह घटना चुनौतीपूर्ण थी और वे किडनैप किए गए अशोक जायसवाल को सकुशल बचाना चाहते थे. बदमाशों ने जिस नंबर से फिरौती की रकम के लिए कौल की थी, एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी ने सब से पहले उसे सर्विलांस पर लगा दिया और बदमाशों के लोकेशन का पता लगाने की कोशिश की. साथ ही उन्होंने डा. सुषमा से यह भी कह दिया कि बदमाशों का फिर से फोन आए तो उसे अपनी लंबी बातों में देर तक उलझाए रखें. उसी शाम 4 बजे के करीब बदमाशों का फोन डा. सुषमा जायसवाल के फोन पर आया. 8 करोड़ की फिरौती की मांग पर सौदेबाजी करतेकरते बदमाश 15 लाख की रकम पर आ कर टिक गए.
पति की सलामती के लिए वह जैसेतैसे 8 लाख रुपयों का इंतजाम कर सकीं और बदमाशों के बताए गीडा थानाक्षेत्र के कालेसर नामक स्थान पर रकम पहुंचाने के लिए तैयार हुईं. दूसरी तरफ सर्विलांस के जरिए पुलिस दोनों की बातों को सुन भी रही थी. इस के अलावा डा. सुषमा ने एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी को फोन कर के किडनैपर्स से हुई सारी बात बता दी. सादे कपड़ों में पुलिस टीम ने कालेसर एरिया को चारों ओर से घेर लिया था. किडनैपर्स ने पैसे लेने के लिए यही जगह डा. सुषमा जायसवाल को बताई थी. शाम 7 बजे के करीब एक नीले रंग की कार कालेसर आ कर रुकी तो सादे कपड़ों में चारों ओर फैली पुलिस पोजीशन ले कर सतर्क हो गई. उन्हें यकीन था कि इसी कार में बदमाश अशोक जायसवाल को ले कर आए होंगे.
पलभर बाद कार में से 3 व्यक्ति बाहर निकले, जबकि कार के अंदर एक व्यक्ति बैठा नजर आ रहा था. इस के कुछ दूरी पर एक और कार आ कर खड़ी हो गई. पहली वाली कार से उतरे 3 व्यक्तियों में से एक ने चारों तरफ का जायजा लेने के बाद अपनी जेब से फोन निकाला और वह कोई नंबर लगाने के बाद फोन पर बात करने लगा. एसपी (सिटी) त्यागी को विश्वास हो गया कि ये शायद बदमाश ही हैं, जो फिरौती की रकम लेने यहां आए हैं. इसलिए उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस टीम को फोन कर के सतर्क किया और किसी भी तरह बदमाशों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया.
आदेश मिलते ही घात लगाए बैठी पुलिस टीम बदमाशों की ओर बढ़ी तो तीनों बदमाश खतरे को भांप कर मौके से भागने लगे. बदमाशों को भागता देख कार में बैठा व्यक्ति भी दरवाजा खोल कर कार में से निकल कर भागने लगा. वह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि अपहृत किए गए अशोक जायसवाल ही थे. पुलिस ने अशोक को सकुशल बरामद कर लिया.
भावुक हो पत्नी से लिपट गए अशोक जायसवाल
पुलिस के साथ पत्नी सुषमा जायसवाल को देख कर अशोक जायसवाल को सहसा यकीन नहीं हुआ. पत्नी को देखते ही उन की आंखें डबडबा गईं और वह उन से जा लिपटे. पति को सहीसलामत देख कर सुषमा का भी गला रुंध गया था. भावुक हो कर कुछ पलों तक दोनों एकदूसरे को अपलक देखते रहे. इधर पुलिस ने भागने वाले तीनों किडनैपर्स को कुछ दूर जा कर पकड़ लिया, जिन में 2 किडनैपर्स जनार्दन गौड़ और श्यामसुंदर उर्फ गुड्ïडू यादव भागते समय सड़क पर गिर गए थे, जिस से दोनों के पैरों में गंभीर चोटेें आई थीं. वे लंगड़ा कर चल रहे थे. पुलिस ने करीब 15 घंटों में अपहृत अशोक जायसवाल और किडनैपर्स को सकुशल पकडऩे में कामयाबी हासिल कर ली थी.

पुलिस तीनों किडनैपर्स को ले कर थाना शाहपुर पहुंची. इधर इंसपेक्टर नीरज राय ने कप्तान राजकरन नैय्यर और एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी को सूचना दे दी थी. अशोक जायसवाल की सकुशल बरामदगी और 3 किडनैपर्स की गिरफ्तारी की सूचना पाते ही दोनों अधिकारी थाने पहुंचे और तीनों किडनैपर्स से सख्ती से पूछताछ की तो करुणेश दुबे ने बताया कि घटना का मास्टरमाइंड कमालुद्ïदीन अहमद उर्फ कमालु है. कमालु के अलावा घटना में प्रीतम, शेरू सिंह और अंश तिवारी भी शामिल थे. कुल मिला कर इस घटना में 7 किडनैपर्स के नाम सामने आए, जिन में 4 मौके से गाड़ी ले कर फरार हो गए थे.
अगले दिन 26 जुलाई, 2025 को एसएसपी राजकरन नैय्यर ने पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता आयोजित की और तीनों किडनैपर्स को गिरफ्तार करने और अशोक जायसवाल को सहीसलामत बरामद करने की जानकारी पत्रकारों को दी. जांच में सामने आया कि परिवार की गतिविधियों पर कोई नजर बनाए हुए था, जिस की वजह से पूरे औपरेशन को बहुत गोपनीय रखा गया था. फिर तीनों को अदालत में पेश कर के 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में गोरखपुर मंडलीय कारागार, बिछिया भेज दिया. फरार चारों बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए उन के ठिकानों पर दबिश देने लगे, लेकिन बदमाश पुलिस की पकड़ से दूर थे.
27 जुलाई, 2025 को डीआईजी डा. एस. चनप्पा ने घटना के मास्टरमाइंड कलामुद्ïदीन उर्फ कमालु के ऊपर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया. इनाम घोषित होते ही अगले दिन 28 जुलाई को कमालु रायबरेली की कोर्ट में एक पुराने केस में आत्मसमर्पण कर जेल चला गया. ऐसा करना कमालु की मजबूरी थी, उसे डर सता रहा था कि कहीं उस का एनकाउंटर न हो जाए. एनकाउंटर के डर से ही उस ने खुद को न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था. गोरखपुर पुलिस ने कमालु से पूछताछ के लिए न्यायालय में ट्रांजिट रिमांड की मांग कर दी थी.
24 अगस्त, 2025 को पुलिस की मेहनत रंग लाई और कमालु 48 घंटे की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया गया. कड़ी सुरक्षा के बीच कमालु रायबरेली जेल से गोरखपुर लाया गया. पुलिस अधिकारियों ने गुप्त स्थान पर रख कर उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने रट्टू तोते की तरह सारा राज उगल दिया था और परतदरपरत राज खुलता चला गया. पूछताछ में कमालु ने बताया कि अशोक जायसवाल के अपहरण की सुपारी उन्हीं के पड़ोसी ज्वैलर प्रदीप सोनी ने दी थी.

उस ने आगे बताया कि गोला थाने का गैंगस्टर मोनू त्रिपाठी, तरुण त्रिपाठी का दोस्त था. क्रिमिनल्स से उस की अच्छी दोस्ती थी. यह बात तरुण जानता था. उस ने लाखों रुपए मिलने का लालच दे कर इसे भी अपनी योजना में मिला लिया था. मोनू का दोस्त करुणेश दुबे था, जो मेरा (कमालुद्दीन उर्फ कमालु) गैंग चलाता था. मोनू त्रिपाठी के जरिए प्रदीप सोनी और तरुण त्रिपाठी मुझ तक पहुंचे और अशोक जायसवाल के किडनैप सुपारी दी. पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपी कमालु को 26 अगस्त, 2025 को रायबरेली जेल पहुंचा दिया. इस के बाद पुलिस ने आरोपी प्रदीप सोनी, देवेशमणि त्रिपाठी उर्फ तरुण त्रिपाठी और मोनू त्रिपाठी को गिरफ्तार कर उस से भी पूछताछ की.
पिता और भाई भी हो चुके थे किडनैप
अशोक जायसवाल किडनैप केस में अब तक 10 आरोपी अरेस्ट किए जा चुके थे. 2 आरोपी पुलिस की पकड़ से अभी भी दूर थे. पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था और फरार चल रहे 2 आरोपियों प्रीतम और अंश तिवारी की तलाश तेज कर दी थी. अशोक जायसवाल मूलरूप से बिहार के बेतिया जिले के रहने वाले थे. वह व्यापार घराने से ताल्लुक रखते थे. उन के पिता बड़ेलाल जायसवाल एक बड़े व्यापारी थे. एक दिन में लाखों का कारोबार होता था. बात सन 1993 की है. तब बिहार में अपहरण कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा था. एक शाम बदमाशों ने अशोक के पिता का किडनैप कर लिया और फिरौती की बड़ी रकम दे कर उन्हें मुक्त कराया था.
पिता के साथ घटी घटना की छाप अभी पूरी तरह से अशोक जायसवाल के जहन से उतरी नहीं थी कि 1995 में उन के बड़े भाई मुरारी लाल का अपहरण हो गया. इस बार भी बदमाशों ने बड़ी फिरौती ले कर मुरारी लाल को आजाद किया था. बारबार परिवार में घट रही घटनाओं से अशोक जायसवाल इस कदर डर गए थे कि अब बेतिया में रहना नहीं चाहते थे. इसे इत्तफाक ही कहा जाएगा कि व्यापारी घराने में होते हुए वह व्यापार के धंधे से दूर रहे थे. इसी दौरान उन्हें एयरफोर्स में नौकरी मिल गई. साल 2000 में उन का ट्रांसफर गोरखपुर हो गया और परिवार के साथ गोरखपुर आ गए.
यहीं रह कर कई साल नौकरी की. साल 2003 में वह एयरफोर्स से रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद वह शाहपुर थानाक्षेत्र के पादरी बाजार इलाके में जमीन ले कर बस गए थे. पत्नी सुषमा जायसवाल भी बस्ती जिले के एक सरकारी अस्पताल में डौक्टर थी. समय अपनी रफ्तार आगे बढ़ता रहा. रिटायरमेंट में अशोक को अच्छीखासी रकम मिली थी और पत्नी भी सरकारी मुलाजिम थीं. दोनों को मिला कर उन के पास अच्छा बैंक बैलेंस था. वे जहां रहते थे, उसी जमीन पर उन्होंने ‘आयुष्मान हौस्पिटल’ बनाया. अस्पताल के निचले हिस्से में वे परिवार सहित रहते थे. ऊपर अस्पताल चलता था.

अशोक जायसवाल के पास जब पैसे आने लगे तो उन्होंने एक स्कूल खोलने की योजना बनाई. यह बात 2017-18 की थी. अपनी योजना को पूरी करने के लिए उन्होंने करोड़ों रुपए की पिपराइच में जमीन खरीदी. जमीन खरीद कर उसे वैसे ही छोड़ दी, ताकि वक्त आने पर उस का सही से इस्तेमाल किया जा सके. यह बात उन के करीबी जानते थे. यही नहीं, उन्होंने अपने बड़बोलेपन में अपने करीबियों और दोस्तों के बीच में यह बात फैला दी थी कि उन को और जमीन की तलाश है. मिल जाए तो खड़ेखड़े नकद खरीद लेंगे. 8-10 करोड़ रुपए तो घर के कैशबौक्स में हमेशा पड़े रहते हैं.
लालच में ज्वैलर ने रची किडनैप की साजिश
यह बात उन का पड़ोसी और बस्ती जिले का रहने वाला प्रदीप सोनी उर्फ पिंटू को भी पता चल गई. हाल में वह पादरी बाजार में किराए का कमरा ले कर परिवार के साथ रहता था. वह उन्हीं के आयुष्मान हौस्पिटल के निचले वाले हिस्से में बनी दुकानों में एक दुकान किराए पर ले कर ज्वैलरी का शोरूम खोल रखा था. अशोक ने सुरक्षा के लिहाज से अस्पताल में कई सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जिस का एक्सेस अशोक जायसवाल के मोबाइल में था तो वही एक्सेस प्रदीप के मोबाइल में भी था, जिस की जानकारी अशोक को नहीं थी. उसी एक्सेस के जरिए वह उन की हरेक गतिविधियों पर नजर गड़ाए हुए था.
पड़ोसी प्रदीप सोनी की नीयत में खोट आ गई थी. दरअसल, वह इन दिनों काफी परेशान चल रहा था. उस की परेशानी का कारण था कर्ज का लेना. प्रदीप ने यहां से पहले पादरी बाजार से जेल बाईपास रोड पर एक दुकान ली थी. वह दुकान अच्छीभली चल रही थी. जब जेल बाईपास रोड का चौड़ीकरण हुआ तो उस की दुकान टूट गई थी, जिस से उसे बड़ा नुकसान हुआ था. उस ने अशोक से 5 लाख रुपए कर्ज ले रखा था. अशोक पैसे लौटाने के लिए उस पर बारबार दबाव बनाने लगे थे. उन के तकादे से वह बुरी तरह परेशान रहने लगा था.

प्रदीप सोनी को पता चल चुका था कि अशोक जायसवाल के कैश बौक्स में 8 से 10 करोड़ रुपए नकद पैक हैं. इस के बाद उस ने अशोक जायसवाल को किडनैप कराने का प्लान बनाया और सोचा कि 8 करोड़ की फिरौती में से वह उन के 5 लाख रुपए भी लौटा देगा. इस प्लान को अंजाम देने के लिए उस ने अपने खास दोस्त देवेशमणि त्रिपाठी उर्फ तरुण त्रिपाठी और इंद्रेश तिवारी उर्फ मोनू को शामिल कर लिया और उन्हें लालच दिया कि फिरौती की रकम में से एकएक करोड़ आपस में बांट लेंगे और अपना देश छोड़ कर नेपाल में शिफ्ट हो जाएंगे, जहां मजे से जिंदगी कटेगी और पुलिस कभी उन तक पहुंच भी नहीं पाएगी.
उसी प्लान के तहत 25 जुलाई, 2025 को सुबह के समय अशोक जायसवाल का अपहरण करा लिया. लेकिन उन के ख्वाब अधूरे के अधूरे रह गए. डा. सुषमा जायसवाल की समझदारी के चलते घटना में लिप्त सभी आरोपी गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए. 2 आरोपियों प्रीतम और अंश तिवारी कथा संकलन तक फरार चल रहे थे. UP Crime News


 
            
               
               
               
               
               
               
               
               
               
               
               
