Inspirational Story : भारत में क्रिकेट के दीवानों की कमी नहीं है. उन्हीं में एक हैं चंडीगढ़ के धर्मवीर दुग्गल, जिन्होंने क्रिकेट से जुड़े तमाम रिकौर्ड अपने संग्रह में जुटाए हैं. शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति भी यदि पूरे जज्बे और समर्पण भावना से कोई कार्य करे तो सफलता उस के कदम जरूर  चूमती है. यह बात चीन की एक विकलांग लड़की पर पूरी तरह लागू होती है. उस ने अपनी लगन और मेहनत के बूते एक ऐसा काम कर दिखाया कि लोग दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो गए.

ईस्ट चाइना के रहने वाले येंग की पत्नी सन ने करीब 21 साल पहले एक बेटी हू हुइयान को जन्म दिया था. बेटी के जन्म के बाद दंपति बहुत खुश हुए. लेकिन जैसेजैसे वह बड़ी होती गई, उन्हें असामान्य सी लगने लगी. वे उसे एक डाक्टर के पास ले गए. उस समय हुइयान 10 महीने की थी. कई तरह की जांचों के बाद डाक्टर ने बताया कि उन की बेटी एक खतरनाक बीमारी सेरिब्रल पल्सी से ग्रस्त है. डाक्टरों ने बताया कि इस बीमारी के चलते हुइयान का केवल दिमाग और पैर ही काम कर पाएंगे. बच्चे में बीमारी चाहे कोई भी हो, हर मांबाप की कोशिश यही रहती है कि वह अच्छे से अच्छे डाक्टर से उस का इलाज कराए. यही येंग ने भी किया. उन्होंने लंबे समय तक हुइयान का इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

हुइयान जैसेजैसे बड़ी हुई, अपनी शारीरिक अक्षमता को जाननेपहचानने लगी. नतीजा यह हुआ कि बीमारी की वजह से वह खुद को अन्य बच्चों की तुलना में हीन समझने लगी. लेकिन येंग ने बेटी को समझाबुझा कर उस के अंदर आत्मविश्वास पैदा किया. ग्रामीण परिवेश में पलीबढ़ी हुइयान पर पिता के समझाने का ऐसा असर हुआ कि वह अपने आप को इस तरह से तैयार करने लगी ताकि आने वाले समय में उसे किसी के सामने असहाय न रहना पड़े. चूंकि उस के हाथ काम करते नहीं थे इसलिए वह पैरों के जरिए ही लिखने लगी. बाद में वह पैरों से ही कंप्यूटर चलाना भी सीख गई.

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