Punjab News: 8 लाख रुपए की रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार पंजाब पुलिस के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के घर पर हुई सीबीआई छापेमारी के दौरान नकद 7.5 करोड़ रुपए, 1.5 किलो स्वर्ण आभूषण, 2 लग्जरी कार, 22 महंगी घडिय़ों समेत अनेक बेशकीमती सामान बरामद हुआ है. हैरानी की बात तो यह है कि गिरफ्तार डीआईजी 100 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक भी हैं. आखिर कौन है यह धनकुबेर और कहां से आई ये संपत्ति?
11 अक्तूबर, 2025 को एक स्क्रैप व्यापारी ने सीबीआई के चंडीगढ़ स्थित औफिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई कि रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर ने उस पर फरजी एफआईआर की धमकी दे कर 8 लाख रुपए रिश्वत की मांग की है. यह गोपनीय खबर पाते ही सीबीआई चौकन्नी हो गई थी, क्योंकि शिकायत पुलिस के सीनियर अधिकारी के खिलाफ थी, इसलिए सीबीआई अब डीआईजी की हर गतिविधि पर सूक्ष्मता से नजर रखने लगी. फिर 16 अक्तूबर, 2025 को सीबीआई टीम ने डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर को मोहाली स्थित उन के औफिस में 5 लाख रुपए की पहली किस्त लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया.
इस के तुरंत बाद सीबीआई अधिकारियों ने डीआईजी के मोहाली, चंडीगढ़ और खन्ना स्थित ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की काररवाई की. इन छापों के दौरान उन के ठिकानों से 7.5 करोड़ रुपए नकद, 2.5 किलोग्राम सोना, 22 कीमती घडिय़ां, 40 लीटर विदेशी शराब, हथियार और कई अन्य कीमती सामान बरामद किया गया. इस के साथ ही 15 प्रौपर्टी के दस्तावेजों के साथसाथ कई बैंक लौकरों की चाबियां भी मिलीं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अनुसार डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर और उन के परिवार के नाम पर 50 अचल और कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं. इस संपत्ति की कुल कीमत 100 करोड़ रुपए से अधिक की बताई जा रही है.
पंजाब पुलिस के रोपड़ रेंज के डिप्टी इंसपेक्टर जनरल औफ पुलिस (डीआईजी) हरचरण सिंह भुल्लर 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. इन के पिता मेजर मेहल सिंह भुल्लर भी पंजाब पुलिस में डीजीपी के पद पर रह चुके हैं. हरचरण सिंह भुल्लर के परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है. हरचरण सिंह की सेक्टर 40, चंडीगढ़ में अपनी एक कोठी है. इस के अलावा खन्ना में एक फार्महाउस भी है.
पंजाब पुलिस में डीआईजी रैंक तक पहुंचने वाले हरचरण सिंह भुल्लर का करिअर सिविल सेवा के अन्य अधिकारियों से काफी अलग रहा है. जहां अधिकांश पुलिस अधिकारी संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में शामिल होते हैं, वहीं दूसरी ओर हरचरण सिंह ने राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) परीक्षा उत्तीर्ण कर पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में पंजाब पुलिस में अपनी नौकरी शुरू की थी.
बाद में नियमानुसार पदोन्नति पा कर वह बिना यूपीएससी क्लीयर किए आईपीएस अधिकारी बने थे. एसपीएस अधिकारी के रूप में हरचरण सिंह भुल्लर ने संगरूर, बरनाला, फतेहगढ़ साहिब, होशियारपुर, खन्ना, जगरों, गुरदासपुर और मोहाली सहित कई जिलों में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली थीं. मोहाली में एसएसपी रहते हुए उन्होंने काफी सराहनीय कार्य किया. वर्ष 2016 में यूपीएससी की अनुशंसा पर एसपीएस कोटे से उन का प्रमोशन आईपीएस में हो गया. 2023 में हरचरण सिंह भुल्लर को पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) का पद मिला और 27 नवंबर, 2024 को उन्होंने रोपड़ रेंज, रूपनगर का प्रभार संभाला था.
अपनी इस नई भूमिका में उन्होंने नशीले पदार्थों के खिलाफ पंजाब में एक बड़ा अभियान चलाया और राज्य में नशे के अवैध व्यापार पर काफी रोकथाम लगाई. हरचरण सिंह भुल्लर अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से जुड़े ड्रग्स केस की विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख भी रहे थे. हरचरण सिंह भुल्लर के पिता मेहल सिंह भुल्लर भी इन के साथ ही रहते हैं, जिन का एक गौरवशाली अतीत रहा है. हरचरण सिंह भुल्लर के छोटे भाई का नाम कुलदीप सिंह भुल्लर है, वह एक पूर्व राजनेता रहे हैं, जो 2002 के पंजाब विधानसभा चुनाव में जीरा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उम्मीदवार थे. कुलदीप भुल्लर पूर्व में एमएलए भी रह चुके हैं.
पिता मेहल सिंह रह चुके हैं डीजीपी
डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के जीवन में उन की प्रेरणा का स्रोत उन के पिता मेजर मेहल सिंह भुल्लर रहे थे, जो स्वयं पंजाब जैसे विशाल राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रह चुके थे. मेजर मेहल सिंह एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने 2002-2003 तक पंजाब पुलिस के पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य किया था. डीजीपी मेहल सिंह भुल्लर ने भारतीय सेना के मेजर के रूप में 13वीं पंजाब रेजीमेंट के साथ एक आपातकालीन युद्ध यानी कि इमरजेंसी कमीशंड अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में भी काम किया था.

मेजर मेहल सिंह भुल्लर ने भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान 1965 के युद्धों में भी भाग लिया था. इस के साथ ही उन्होंने 1960 के दशक से मिजोरम आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी भारतीय सैन्य अधिकारी के रूप में उत्कृष्ट कार्य किया था. मेहल सिंह भुल्लर का जन्म सन 1943 में हुआ था. इन की पत्नी का नाम दलजीत कौर है. इन के 2 बेटे हैं हरचरण सिंह भुल्लर और उन से छोटे कुलदीप सिंह भुल्लर.
सैन्य सेवा छोडऩे के बाद मेहल सिंह ने भारतीय पुलिस में अपनी सेवाएं दी और 1980 तथा 1990 के दशक में पंजाब में हो रहे आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया. मेजर मेहल सिंह ने पंजाब के उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की नीति को प्रोत्साहित किया और पंजाब आम्र्ड पुलिस (पीएपी) को मजबूत करने के लिए जालंधर (पंजाब) में पीएपी कौंप्लेक्स और पुलिस डीएवी स्कूल जैसे संस्थानों की भी स्थापना की. मेजर मेहल सिंह भुल्लर को पंजाब पुलिस के कई उदीयमान खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित करने का श्रेय भी दिया जाता है, जिन में प्रमुख रूप से डब्लूडब्लूई पहलवान दलीप सिंह हैं, जिन्हें पूरे विश्व में आज ‘खली’ के रूप में भी जाना जाता है.
पंजाब के जालंधर में पंजाब सशस्त्र पुलिस इनडोर स्टेडियम का नाम उन के सम्मान में ही रखा गया है. मेहल सिंह भुल्लर इस के साथसाथ पंजाब वौलीबाल एसोसिएशन के मानद आजीवन सदस्य भी हैं. डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के काले कारनामों का खुलासा करने वाला एक स्क्रैप व्यापारी आकाश बत्ता है, जिस ने डीआईजी जैसे उच्च लेवल वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत जुटाई थी. दरअसल, आकाश बत्ता पर यह आरोप था कि वह दिल्ली से जाली बिल और बिल्टियों के माध्यम से माल ला कर मंडी गोविंदगढ़ की फर्नेसों में बेचा करता है और इस तरीके से वह टैक्स चोरी कर रहा है. इस के लिए आकाश बत्ता के खिलाफ अपराध संख्या 155 दर्ज की गई थी. आकाश बत्ता के खिलाफ वर्ष 2023 नवंबर के महीने में पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के सरहिंद थाने में मामला दर्ज किया गया था.
वैसे आमतौर पर पुलिस थानों में दर्ज होने वाले केस थाने के एसएचओ या उस के नीचे के अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा जांच कर निपटा दिए जाने का प्रचलन है, लेकिन इस केस में स्क्रैप के जरिए टैक्स चोरी और राज्य सरकार को चूना लगाने की बात थी तो यह मामला स्टेप बाई स्टेप डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर तक भी पहुंच गया था. इस तरह से वह डीआईजी के लिए एक आसान टारगेट बन गया था. इस के बाद चालान पेश करने की धमकी दे कर बिचौलिए कृष्णु के माध्यम से डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर द्वारा आकाश बत्ता से रिश्वत मांगी गई.
कृष्णु नाभा का रहने वाला था और पुलिस अफसरों का दलाल भी था. स्क्रैप कारोबार के चलते कृष्णु ने आकाश बत्ता से मुलाकात की. कृष्णु ने आकाश को बताया कि वह डीआईजी भुल्लर साहब का खास दोस्त है. उस ने कहा कि तुम्हारे खिलाफ एफआईआर नंबर 155 के बदले में तुम्हें कुछ सेवा पानी करना होगा. इस के लिए सब से पहले 8 लाख रुपए की मांग की गई और उस के बाद हर महीने 5 लाख रुपए देने को कहा गया. आकाश बत्ता को यह भरोसा दिलाया गया कि तुम्हें स्क्रैप बिजनैस में पूरी की पूरी खुली छूट दी जाएगी. तुम मनमरजी से काम कर सकते हो.
जब आकाश बत्ता ने रुपए देने से मना किया तो उसे अब झूठे केस में फंसाने की लगातार धमकियां दी जाने लगीं. अब तक आकाश बत्ता की समझ में पूरी तरह से आ चुका था कि असली डौन डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर है, जबकि कृष्णु बिचौलिया है. झूठे केस डालने और ‘तुझे देख लेंगे, अब तू अपना कारोबार कैसे करता है.’ बारबार इन धमकियों से आकाश बत्ता बुरी तरह से डर चुका था और दिनप्रतिदिन टूटता भी जा रहा था. एक बार उस के मन में यह भी आया कि पंजाब पुलिस के आला अधिकारियों से डीआईजी भुल्लर की शिकायत करनी चाहिए, मगर फिर उस ने सोचा कि पंजाब पुलिस अपने डीआईजी पर काररवाई बिलकुल भी नहीं करेगी. उस के बाद उस ने सीबीआई के सामने इस रिश्वतखोरी का भांडा फोडऩे का अंतिम निर्णय कर लिया.
उस के बाद आकाश बत्ता सीधे चंडीगढ़ स्थित सीबीआई के औफिस में पहुंच गया और अपनी शिकायत लिखित रूप में वीडियो रिकौर्डिंग के साथ सीबीआई को सुनाई और तुरंत काररवाई करने का निवेदन किया. जब सीबीआई अधिकारियों ने कौल रिकौर्डिंग को सुना तो उन के भी होश उड़ गए थे. कौल रिकौर्डिंग में मंथली लेने की बात भी सामने आई.
दरअसल, सीबीआई को किसी भी राज्य में काररवाई करने के लिए गृह विभाग को सूचना देती पड़ती है. विभाग की मंजूरी के बाद ही सीबीआई काररवाई कर सकती है. सीबीआई को शक था कि कहीं पंजाब सरकार अनुमति न दे और काररवाई की सूचना कहीं लीक न हो जाए, इसीलिए सीबीआई ने डीआईजी को कार्यालय बुला कर पकड़ा था.
सीबीआई ने कैसे बिछाया जाल
डीआईजी जैसी बड़ी शख्सियत को पकडऩे के लिए सीबीआई ने बाकायदा जाल बिछाया था और पूरी तैयारी के साथ उन्हें गिरफ्तार किया. सीबीआई ने पहले डीआईजी भुल्लर के लिए बिचौलिए और धन उगाही करने वाले कृष्णु को 8 लाख रुपए के लिए एडवांस 5 लाख रुपए की आकाश बत्ता से रिश्वत लेते हुए चंडीगढ़ के सेक्टर 21 से गिरफ्तार कर लिया. ये रिश्वत डीआईजी भुल्लर के नाम से ली गई थी. सीबीआई ने गिरफ्तार कृष्णु के घर से भी नकदी बरामद की.

जब सीबीआई ने कृष्णु को दबोच लिया तो उस के बाद सीबीआई की तरफ से डीआईजी भुल्लर को कौल किया गया. कौल इस तरह से किया गया था, जिस से डीआईजी को कानोंकान यह पता भी न लग सके कि कोई एजेंसी इस के पीछे काम कर रही है. कौल करने पर डीआईजी भुल्लर ने कौल पर पेमेंट लेने की बात मानी और शिकायतकर्ता एवं पैसे लेने वाले शख्स को अपने औफिस में आने को कहा. इस के बाद तो सीबीआई की विशेष टीम खुद उन के औफिस में पहुंच गई, जहां से उन्हें उठा लिया गया.
सीबीआई ने डीआईजी भुल्लर को गिरफ्तार करने के बाद जब उन के ठिकानों पर छापेमारी की तो टीम को वहां से नोटों से भरे ठसाठस 3 बैग मिले. करीब 4 घंटे तक सीबीआई ने उन के ठिकानों पर छापेमारी की तो उन के घर से तो कुबेर का खजाना ही निकलने लगा था. कैश इतना अधिक था कि सीबीआई की टीम को नोट गिनने वाली कई मशीनें तक मंगवानी पड़ीं. केंद्रीय एजेंसी ने तलाशी पूरी होने के बाद कहा कि उन्होंने डीआईजी भुल्लर के ठिकानों से 7.5 करोड़ रुपए नकद, 2.5 किलोग्राम सोना, लग्जरी कारें, 26 महंगी घडिय़ां जिन में रोलेक्स और राडो जैसी ब्रांडेड घडिय़ां भी शामिल थीं. इस के साथ ही डीआईजी के परिवार के सदस्यों के नाम 50 से अधिक संपत्तियां, संदिग्ध बेनामी इकाइयों के दस्तावेज, लौकर की चाबियां और कई बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स भी मिली.
इस के साथ ही समराला में डीआईजी के फार्महाउस से 100 कारतूसों के साथ 4 बंदूकें भी बरामद की गईं. शराब की 108 बोतलें और 17 कारतूस जब्त किए गए. इन संपत्तियों की कीमत 100 करोड़ रुपए से अधिक की बताई जा रही है.
दलाल की पुलिस विभाग में थी पैठ
डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर रिश्वत कांड का दूसरा मुख्य आरोपी बिचौलिया कृष्णु शारदा नाभा के हरिदास कालोनी का रहने वाला है. कृष्णु बचपन में हौकी का एक अच्छा खिलाड़ी रहा था. कृष्णु शारदा कांग्रेस सरकार के समय नवजोत सिंह सिद्धू एवं पूर्वमंत्री साधु सिंह धर्मसोत के निकट भी रहा बताया जाता है. साधारण परिवार से संबंध रखने वाला कृष्णु शारदा सोशल मीडिया में काफी एक्सपर्ट था. कृष्णु ने बौलीवुड स्टार अक्षय कुमार की फिल्म में भी अभिनय किया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ समय तक नवजोत सिंह सिद्धू के इंटरनेट मीडिया अकाउंट को हैंडल करने के दौरान वह पंजाब पुलिस के अधिकारियों के करीब रहने लगा था. कृष्णु शारदा की कई नई तसवीरें भी अब धीरेधीरे सामने आ रही हैं, जिस में वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, आईपीएस मुखविंदर सिंह छीना, आईएएस वरुण रुजम, आईपीएस गुरुसिमरत सिंह ढिल्लों और डीएसपी दविंदर कुमार अत्री के साथ नजर आ रहा है.

यह भी बताते हैं कि वह डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के कितना नजदीक था, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस की डीआईजी औफिस में बिना रोकटोक एंट्री होती थी. शादीशुदा कृष्णु शारदा एक बेटे का पिता है. उस के पापा राजकुमार एक प्राइवेट जौब करते हैं. कृष्णु ने 2018 से ले कर 2022 तक मंडी गोबिंदगढ़ में फायर ब्रिगेड औफिस में आउटसोर्स पर काम किया, जबकि इन दिनों वह कोई काम नहीं करता था. बेरोजगार कृष्णु ने अपने फेसबुक पेज पर कई पुलिस अधिकारियों व राजनेताओं के साथ अपने फोटो भी अटैच किए हुए हैं.
सीबीआई काररवाई के बाद अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर नवजोत सिंह सिद्धू से कृष्णु का क्या और कैसा रिश्ता रहा है, क्योंकि ज्यादातर वाइरल तसवीरों में वह नवजोत सिंह सिद्धू और उन के परिवार के साथ नजर आ रहा है. बिचौलिया कृष्णु शारदा आखिरकार इन नेताओं और अफसरों के साथ किस तरह का संबंध और काम रखता था, अब इस की जांच सीबीआई कर रही है.
इस संबंध में सीबीआई चंडीगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम के हाथ कुछ अहम सुराग भी लगे हैं. सीबीआई एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कृष्णु और डीआईजी भुल्लर के बीच जिन मोबाइल नंबरों और वाट्सऐप के जरिए रिश्वत लेने की बात हो रही थी. उन में कृष्णु के वाट्सऐप चैट में कई नेताओं, आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अफसरों की चैट सामने आई है.
अपने वाट्सऐप चैट पर कृष्णु ने कई और नेताओं के साथ लोगों के काम कराने और उन की फाइलों को क्लीयर कराने की चैट भी लगा रखी है, अब आने वाले समय में सीबीआई इन चैट के आधार पर उन संदिग्ध अधिकारियों और नेताओं से भी पूछताछ कर सकती है. बिचौलिया कृष्णु शारदा नियमित रूप से चंडीगढ़ और मोहाली स्थित पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने भी जाता रहता था. इस रिश्वतखोरी कांड के सामने आने के बाद पंजाब के राज्यपाल महामहिम गुलाब चंद कटारिया ने डीआईजी भुल्लर की भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी को एक आंखें खोलने वाला मामला बताया है.
रिश्वतखोर डीआईजी भुल्लर को किया सस्पेंड
डीआईजी भुल्लर की एक महीने की सैलरी करीब 2 लाख 64 हजार रुपए बन रही थी, लेकिन उन के घर से कैश और गोल्ड बरामदगी से यह पता चला है कि वे कैसी लग्जरी लाइफ इंजौय कर रहे थे. लुधियाना में डीआईजी भुल्लर के समराला फार्महाउस से जो शराब की बोतलें सीबीआई द्वारा जब्त की गईं, उन में से कई शराब की बोतलों की कीमत 50 हजार से भी अधिक की थी. उन के घर और फार्महाउस से सीबीआई को 500 रुपए के नोट रखने के लिए टेबलें तक छोटी पड़ गई थीं. इस के बाद सीबीआई की टीम द्वारा जमीन पर चटाई बिछा कर उन नोटों की गिनती करनी पड़ी.
उच्च पुलिस अधिकारी डीआईजी भुल्लर के खिलाफ रिश्वतखोरी मामले में शिकायत करने वाले स्क्रैप व्यापारी आकाश बत्ता ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की है. याचिकाकर्ता आकाश बत्ता को अब हाईकोर्ट की तरफ से पंजाब सरकार और सीबीआई को इस केस का आंकलन कर सुरक्षा देने का आदेश जारी कर दिया गया है. हाईकोर्ट के जस्टिस अमन चौधरी ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार और सीबीआई को अपने स्पष्ट आदेश पारित किए कि वे याचिकाकर्ता की सुरक्षा और खतरों का आंकलन करें और यदि आवश्यक हो तो कानून के अनुसार सुरक्षा प्रदान करें.
पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किए गए डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर पर सख्त काररवाई की है. राज्य के गृह विभाग ने शनिवार दिनांक 18 अक्तूबर, 2025 को एक आदेश जारी करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. निलंबन का यह निर्णय अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 3(2) के प्रावधानों के तहत लिया गया है, जिस के अनुसार गिरफ्तारी के 48 घंटे बीत जाने के बाद अधिकारी स्वत: ही निलंबित माना जाता है.
गृह विभाग के आदेश में बताया गया है कि पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौतम यादव की रिपोर्ट के आधार पर यह कदम उठाया गया. रिपोर्ट के अनुसार रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर (आईपीएस) को सीबीआई ने 16 अक्तूबर, 2025 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 7ए के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया था.
अंत में कहा जा सकता है कि इस गंभीर भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई द्वारा की गई काररवाई सख्त, उचित और प्रभावी रही है. पंजाब पुलिस के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर की गिरफ्तारी और जांच पूरे देश और समाज को यह स्पष्ट संदेश देती है कि कानून के आगे कोई भी सरकार या कोई भी बड़े से बड़ा अधिकारी तक बड़ा नहीं है. सीबीआई की आगे आने वाली जांच में अन्य अवैध लेनदेन और अन्य संपत्तियों के खुलासे की उम्मीद की जा सकती है.
पंजाब के कई आईपीएस अफसर खा चुके हैं जेल की हवा
पंजाब में आज भले ही रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर की गिरफ्तारी से पंजाब में खाकी पर एक बदनुमा दाग लगा है, लेकिन पंजाब में इस से पहले भी कई आला से आला अधिकारी तक भ्रष्टाचार के कारण जेल की हवा खा चुके हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि मौजूदा समय में भी 2 आईपीएस अधिकारी, एक आईजी व डीआईजी के खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन केस अदालत में विचाराधीन हैं. इतना ही नहीं, यहां पर तो डीजीपी से ले कर एआईजी तक विवादों के घेरे में रहे हैं. जिन में से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं.

पंजाब के आईजी प्रदीप कुमार यादव पर विजिलेंस ब्यूरो ने करप्शन का केस दर्ज कर अदालत में दाखिल किया हुआ है. आईजी प्रदीप कुमार पर एक केस में 20 लाख रुपए की रिश्वत वसूलने का केस है. इस केस में बाबा दयालदास हत्याकांड में घटना के समय ही मोगा गांव कपूरे के रहने वाले संत जरनैल दास को बतौर मुख्य आरोपी नामजद किया गया था, जिसे पंजाब पुलिस ने जांच के आधार पर क्लीन चिट दे दी थी. उस के बाद शिकायतकर्ता बाबा गगनदास के पैरवी करने पर आईजी (फरीदकोट) रहे प्रदीप कुमार यादव ने एसपी गगनेश कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया, जिस में डीएसपी सुशील कुमार व एसआई खेमचंद पाराशर को भी शामिल किया गया था.
तीनों पुलिस अधिकारियों ने हत्याकांड के मुख्य आरोपी जरनैल दास को दोबारा नामजद करवाने के लिए शिकायतकर्ता गगन दास से आईजी के नाम 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगी और फिर डराधमका कर 20 लाख रुपए वसूल भी कर लिए थे. दूसरे केस में पंजाब विजिलेंस ने फिरोजपुर के तत्कालीन डीआईजी इंदरबीर सिंह को रिश्वत लेने के केस में नामजद किया है. डीआईजी इंदरबीर सिंह वर्तमान में आम्र्ड पुलिस जालंधर में तैनात हैं. हालांकि विजिलेंस टीम ने फिलहाल उन की गिरफ्तारी नहीं की है. उन के खिलाफ डीएसपी लखबीर सिंह सरकारी गवाह बन चुके हैं. जिन्होंने यह आरोप लगाया है कि डीआईजी ने 10 लाख रुपए की रिश्वत ली थी.
भिखीवंड पुलिस ने 20 जून, 2022 को नशा तस्कर को गिरफ्तार किया था. उस से हुई विस्तृत पूछताछ में कई पुलिस अधिकारियों के नाम सामने आए. उस के बाद भिखीवंड पुलिस ने 6 जुलाई, 2022 को डीएसपी लखबीर संधू को गिरफ्तार किया था. उन से फिर पूछताछ के बाद अब फिरोजपुर के तत्कालीन डीआईजी इंदरबीर सिंह का नाम सामने आने पर अब उन के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. तीसरे केस में एआईजी आशीष कुमार पर वर्ष 2018 में जालसाजी और धोखाधड़ी केस में 2 महिलाओं को राहत देने के बदले में उन से चैक साइन करवा कर एक करोड़ रुपए बैंक से निकलवाने के आरोप में केस दर्ज किया गया था.
इस केस में एआईजी आशीष कपूर के अतिरिक्त डीएसपी पवन कुमार और एएसआई हरजिंदर सिंह के ऊपर भी एफआईआर दर्ज की गई थी. विजिलेंस टीम ने 6 अक्तूबर, 2022 को एआईजी आशीष कपूर को गिरफ्तार किया था. आशीष कपूर के ऊपर एक महिला से दुष्कर्म और जबरन उगाही का आरोप भी है. उस महिला ने अपने आरोप में स्पष्ट कहा था कि वह इमिग्रेशन फ्रौड से जुड़े एक केस में जेल में बंद थी. महिला के अनुसार आशीष कुमार उस समय अमृतसर में जेल सुपरिटेंडेंट थे.
आशीष कपूर ने जेल में अपने पद का फायदा उठाते हुए महिला से जबरन शारीरिक संबंध बनाए. उस के बाद आशीष कपूर ने मातारानी की फोटो को साक्षी मानते हुए महिला से शादी भी कर ली थी. दुष्कर्म के बाद जब महिला गर्भवती हो गई तो आशीष कपूर ने उस महिला की जमानत करा दी. उस महिला का आशीष कपूर पर सीधासीधा यह आरोप था कि आशीष कपूर ने ही मई 2018 में उक्त महिला को झूठे इमिग्रेशन केस में फंसाया था. इतना ही नहीं, आशीष कपूर ने उक्त महिला को अपना क्रेडिट कार्ड भी दे कर रखा था और महिला के लिए घर खरीदने की बात भी कही थी. उस महिला ने क्रेडिट और डेबिट कार्ड का यूज करते हुए करीब 44 लाख रुपए की शौपिंग भी की थी.
चौथे केस में पंजाब में अपहरण के मामले में पंजाब पुलिस के आईजी गौतम चीमा सहित 6 अन्य दोषियों को सीबीआई अदालत ने 8 महीने की सजा सुना रखी है. इन सभी आरोपियों पर भगोड़े एक अपराधी ने पुलिस हिरासत में अपहरण के आरोप लगाए थे. अदालत ने आईजी गौतम चीमा को आईपीसी की धारा 225 (किसी आरोपी को गिरफ्तार में बाधा पहुंचाने), 186 (पुलिस के काम में बाधा पहुंचाने) व 120बी (साजिश रचने) के तहत सजा सुनाई है.
पांचवें केस में मोहाली स्थित सीबीआई कोर्ट ने रिटायर्ड आईपीएस बलकार सिंह समेत 3 अन्य पुलिसकर्मियों को 3-3 साल की सजा सुनाई. इन सभी लोगों ने अमृतसर से एक युवक को उठाया था जोकि बाद में गायब हो गया. उस समय 7 मई, 1992 को अमृतसर के गांव पौरसी राजपूत से सुरजीत सिंह नामक युवक को उठाया गया था और उस समय के तत्कालीन डीएसपी रहे बलकार सिंह, एसएचओ उधम सिंह और कांस्टेबल रहे ऊधम सिंह ने इस काररवाई को अंजाम दिया था.
इस के अलावा पंजाब के डीजीपी रह चुके सुमेध सैनी भी काफी विवादों में रहे हैं. उन के ऊपर अपहरण व हत्या का मामला अभी भी अदालत में चल रहा है. 33 साल पुराने आईएएस के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी हत्याकांड में पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी पर केस दर्ज होने के 5 साल बाद ट्रायल चल रहा है. मामले की जांच कर रही एसआईटी ने दिसंबर, 2020 में पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी पर हत्या सहित 7 धाराओं में चार्जशीट दाखिल की थी.
इस के अलावा एक अन्य केस में पंजाब के आईजी परमराज उमरानंगल भी गिरफ्तार हो चुके हैं. पंजाब के फरीदकोट जिले के गांव बरगाड़ी में 12 अक्तूबर, 2015 की श्रीगुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद बहिबल कलां और फरीदकोट में हुए गोली कांड की घटनाओं में आईजी परमराज सिंह उमरानंगल को गिरफ्तार किया गया था और वह भी जेल की हवा खा चुके हैं. Punjab News






