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दोपहर 2 बजे की गई शीला रात होने तक घर नहीं लौटी तो उस के बच्चे परेशान होने लगे. वह  डा. बंगाली से खुजली की दवा लेने शमसाबाद गई थी. उसे घंटे, 2 घंटे में लौट आना चाहिए था. लेकिन घंटे, 2 घंटे की कौन कहे, उसे गए कई घंटे हो गए थे और वह लौट कर नहीं आई थी. अब तक तो डा. बंगाली का क्लिनिक भी बंद हो गया होगा.

शीला का बड़ा बेटा 10 साल का सतीश रात होने की वजह से डर रहा था. वह ताऊ चाचाओं से भी मदद नहीं ले सकता था, क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही उस की मां की ताऊ और चाचाओं से खूब लड़ाई हुई थी. उस लड़ाई में ताऊ और चाचाओं ने उस की मां की खूब बेइज्जती की थी.

सतीश के मन में मां को ले कर तरहतरह के सवाल उठ रहे थे. मां के न आने से वह परेशान था ही, उस से भी ज्यादा परेशानी उसे छोटे भाइयों के रोने से हो रही थी. 8 साल के मनोज और 3 साल के हरीश का रोरो कर बुरा हाल था. अब तक उन्हें भूख भी लग गई थी. उस ने उन्हें दुकान से बिस्किट ला कर खिलाया था, लेकिन बच्चे कहीं बिस्किट से मानते हैं. अब तक खाना खाने का समय हो गया था.

सतीश अब तक मां को सैकड़ों बार फोन कर चुका था, लेकिन मां का फोन बंद होने की वजह से उस की बात नहीं हो पाई थी. जब वह हद से ज्यादा परेशान हो गया और उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने अपने मामा श्रीनिवास को फोन कर के मां के बंगाली डाक्टर के यहां जाने और वापस न लौटने की बात बता दी.

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