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मातापिता इस शादी के खिलाफ थे. उस समय उन्होंने इस का विरोध किया था. लेकिन आयुषि ने उन की एक न सुनी. आयुषि ने कहा, ‘‘पापा, मैं अब बड़ी हो गई हूं, अपने फैसले ले सकती हूं. अपना अच्छाबुरा सोच सकती हूं.’’

उस समय तक मातापिता को पता नहीं था कि आयुषि प्रेम विवाह कर चुकी है.

बाद में जब उन्हें पता चला तो पिता ने उसे समझाया, ‘‘बेटा, दूसरी जाति में शादी करने से हमारी समाज में बहुत बदनामी होगी. अगर तुम्हें शादी ही करनी है तो अपनी जाति में करो.’’

तब आयुषि ने कहा, ‘‘पापा, मैं छत्रपाल को बहुत प्यार करती हूं. वह भी मुझे बहुत चाहता है.’’

मां ब्रजबाला ने भी आयुषि के दूसरी जाति के लड़के से शादी करने का विरोध किया था और उसे काफी समझाया.

छत्रपाल से शादी करने के बाद आयुषि अपनी मरजी से जब चाहे, तब पति के पास चली जाती थी. कहने को आयुषि अब तक एक बार भी अपनी ससुराल भरतपुर नहीं गई थी. बेटी के इस तरह दूसरी जाति में शादी कर लेने और विद्रोही तेवर अपनाने से उस के मातापिता को अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा खोने की चिंता सताती थी. दिल्ली में नितेश यादव का मोलड़बंद एक्सटेंशन में दोमंजिला मकान है.

पिता ही निकला असली कातिल

17 नवंबर को दोपहर के 2 बजे का समय था. हत्या वाले दिन आयुषि अपने पति से मिलने गई थी और देर से लौटी थी. इसी बात को ले कर उस का मां से झगड़ा हुआ था. मां ने उस की शिकायत फोन पर नितेश से करने के साथ उसे घर बुला लिया.

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