3 जुलाई, 2017 को बिहार के मधुबनी जिले के राजनगर थाना क्षेत्र के सिमरी गांव के रामजानकी मंदिर से राम, जानकी और लक्ष्मण की अष्टधातु से बनी सैकड़ों साल पुरानी मूर्ति पर चोरों ने हाथ साफ कर डाला. उस मूर्ति को खोजने के लिए पुलिस पूरे मधुबनी जिले में डौग स्क्वाड ले कर दरदर भटकती रह गई, लेकिन चोरों का कोई सुराग नहीं मिला. पुलिस अफसरों का मानना है कि मूर्ति चोरी के मामलों में जांच के लिए माहिर होने चाहिए, जो केवल सीबीआई के पास हैं.

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, गिरोह के लोग चावल, दाल जैसे अनाज के बोरों में मूर्तियों को छिपा कर ले जाते हैं. इतना ही नहीं, मूर्ति चुराने में चोर काफी सावधानी बरतते हैं. वे रबड़ के दास्ताने पहन कर मूर्तियां उठाते हैं. प्लास्टिक की चादर पर पीओपी छिड़क कर उसे रबड़ की ट्यूब में पैक किया जाता है. उस के बाद उसे कार्बन शीट से लपेट दिया जाता है. इस से मूर्ति के बारे में मैटल डिटैक्टर से भी पता नहीं चल पाता है.

मूर्ति चोर गिरोह 3 लैवलों पर काम करते हैं. पहला होता है, लोकल अपराधी गिरोह. दूसरा होता है मिडिलमैन, जो सारी चीजें मैनेज करता है. उस के बाद खरीदार की बारी आती है, जो ज्यादातर देश के बाहर होते हैं. मिडिलमैन ही पुरानी मूर्तियों की रेकी और इंटरनैशनल मार्केट में उस की कीमत का आकलन करता है. वही विदेशी खरीदारों के संपर्क में रहता है.

मिडिलमैन ही लोकल अपराधी से मिल कर मूर्ति को चुराने का काम कराता है और इस के एवज में चोर को 50 हजार से एक लाख रुपए तक दिए जाते हैं. मिडिलमैन को 5 से 10 लाख रुपए मिलते हैं और विदेशों में बैठे तस्कर उन मूर्तियों को करोड़ों रुपए में बेचते हैं. बिहार से सटे नेपाल के विराटनगर और काठमांडू में ऐसे खरीदारों और चोरों का अड्डा है.

कुछ समय पहले अररिया पुलिस ने यादव नाम के एक अपराधी को पकड़ा था, जिस का काम चोरी की मूर्तियों का धंधा करना था. उस चोर ने ही पुलिस को बताया था कि बिहार और उत्तर प्रदेश के मंदिरों से मूर्तियों को चुरा कर कुछ दिनों के लिए जमीन में गाड़ कर रख दिया जाता है. पुलिस की जांच धीमी पड़ने के बाद मूर्ति को निकाल कर नेपाल पहुंचा दिया जाता है. चोरी की गई ज्यादातर मूर्तियों की खरीदफरोख्त नेपाल में ही होती है.

बिहार सरकार के होश पिछले साल तब उड़ गए थे, जब बिहार के जमुई जिले के खैरा गांव से चोरों ने महावीर की 26 सौ साल पुरानी ऐतिहासिक मूर्ति गायब कर दी थी. ब्लैक स्टोन से बनी महावीर की मूर्ति की कीमत इंटरनैशनल मार्केट में करोड़ों रुपए की है. चोरों की खोज में पुलिस ने ताबड़तोड़ छापामारी की, लेकिन वे हाथ नहीं लगे. 6 दिसंबर की सुबह जुमई के ही बिछबे गांव के दरगाही पोखर के पास सड़के के किनारे एक बोरा पड़ा मिला. लोगों को शक हुआ कि कहीं बोरी में किसी की लाश तो नहीं है?

जब बोरा खोला गया, तो उस में महावीर की मूर्ति नजर आई. गांव के मुखिया नरेंद्र कुमार यादव को जब इस बारे में बताया गया, तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी.

जमुई से महावीर की कीमती मूर्ति चोरी होने के बाद जैनियों की श्वेतांबर सोसाइटी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मूर्ति की बरामदगी के लिए इंटरनैशनल दबाव डालना शुरू कर दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले को ले कर पुलिस हैडक्वार्टर के अफसरों की क्लास लगा दी. उधर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात की.

खैरा थाना क्षेत्र के गरही में सीआरपीएफ की 215 बटालियन के अफसरों और खैरा थाने के अध्यक्ष रामनाथ राय की अगुआई में पुलिस के जवानों ने हरखार पंचायत के दीपाकरहर, रजला, सिरसिया, काली पहाड़ी और रोपावेल समेत आसपास के दर्जनों गांवों में मूर्ति ढूंढ़ने की मुहिम चलाई थी.

पुलिस की दबिश से घबरा कर तस्करों ने 2 टन वजनी मूर्ति को छोड़ कर भागने में ही अपनी भलाई समझी और मूर्ति को बरामद कर सरकार और पुलिस ने अपनी लाज बचा ली. जुमई जिले के लछुआर इलाके से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर मशहूर जैन मंदिर है. इस मंदिर में कुल 20 छोटीबड़ी मूर्तियां हैं, जिन में से सब से बड़ी मूर्ति 24वें तीर्थंकर महावीर की है. यह मूर्ति मंदिर के बाहरी भाग में थी और बेशकीमती होने के बाद भी उस की हिफाजत का कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया था.

इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि 26 सौ साल पुरानी महावीर की इस मूर्ति की स्थापना महावीर के घर छोड़ने के बाद उन के बड़े भाई नंदीवर्धन ने की थी. इस मंदिर को देखने के लिए हर साल तमाम विदेशी सैलानी आते हैं. इस के बाद भी सरकार और जिला प्रशासन ने मूर्ति की हिफाजत का कोई खास इंतजाम नहीं किया था.

चोरी की सब से ज्यादा वारदातें नालंदा, नवादा और गया जिले में हुई हैं. साल 2015 में 13 मूर्तियों की चोरी हुई, जबकि साल 2014 में 28. साल 2013 में चोरों ने 65 ऐतिहासिक मूर्तियों पर हाथ साफ किया, तो साल 2012 में 62 मूर्तियां गायब की गईं. साल 2011 में चोरों ने 30 मूर्तियों की चोरी कर उन्हें ठिकाने लगा डाला. इन मूर्तियों का पता लगाने में पुलिस अभी तक नाकाम रही है.

पिछले साल मूर्ति चोरी की वारदातों में तेजी से हुए उछाल के बाद सरकार की नींद टूटी थी और उस के बाद से अब तक वह ऐतिहासिक मूर्तियों की हिफाजत के पुख्ता इंतजाम करने का केवल ढिंढोरा पीट रही है. पुलिस हैडक्वार्टर ने ऐसे मामलों में शामिल सभी आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है. साथ ही, इस तरह के मामलों के अनुसंधान का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई यानी ईओयू को सौंपा गया है. अब तक ऐसे मामलों की जांच सीआईडी करती थी.

आर्थिक अपराध इकाई यानी ईओयू के आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि ऐतिहासिक मूर्तियों की हिफाजत के लिए सभी जिलों के एसपी को मुस्तैद रहने को कहा गया है. तस्करों के नैशनल और इंटरनैशनल नैटवर्क का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए स्पैशल टीम बनाई गई है.

18 जुलाई, 2016 को औरंगाबाद जिले के गोह इलाके में पुलिस ने 10 मूर्ति तस्करों को दबोच लिया था. पुलिस का दावा है कि जमुई से महावीर की मूर्ति चोरी में इसी गिरोह की भागीदारी रही थी. गोह थाना क्षेत्र के मरही धाम मंदिर से सिंहवासिनी देवी और भृगु ऋषि की हजारों साल पुरानी मूर्तियों को चुराने के बाद गिरोह के लोग उन्हें बेचने की कोशिशों में लगे हुए थे. सिंहवासिनी देवी की मूर्ति को गया जिले के आंती थाना क्षेत्र से बरामद कर लिया गया, जबकि दूसरी मूर्ति को बेचने के लिए राज्य से बाहर भेज दिया गया था.

बिहार के औरंगाबाद जिले में पकड़े गए एक मूर्ति चोर ने पुलिस को बताया कि उस का इंटरनैशनल मूर्ति तस्करों से संबंध है. मूर्ति चोरी को अंजाम देने से पहले वे लोग देशभर के मंदिरों में घूमघूम कर देवीदेवताओं की मूर्ति के फोटो मोबाइल फोन से लेते हैं. इस के बाद सोशल मीडिया के जरीए मूर्तियों के फोटो विदेशों में बैठे खरीदारों को भेज देते हैं.

फोटो देखने के बाद विदेशी खरीदार अपनी पसंद की मूर्तियों के लिए काम करने का आदेश देते हैं. 21 जनवरी, 2017 को समस्तीपुर के मुसरीघरारी थाना क्षेत्र के हरपुर एलौथ के वार्ड नंबर-7 में रामजानकी मंदिर पर चोरों ने अपना हाथ साफ कर दिया. अष्टधातु से बनी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों को चुरा कर चोरों ने पुलिस को खुली चुनौती दे डाली. 6-6 किलो की इन दोनों मूर्तियों की कीमत इंटरनैशनल मार्केट में 20 लाख रुपए आंकी गई है.

मुजफ्फरपुर के बरियारपुर ओपी क्षेत्र के जोगनी जागा गांव में 10 जनवरी, 2017 की रात को चोरों ने रामजानकी मंदिर का ताला तोड़ कर अष्टधातु की5 मूर्तियां और चांदी के 2 मुकुट चुराए और चंपत हो गए. 11 जनवरी की सुबह जब पुजारी मंदिर में पूजा करने पहुंचे, तो उन्होंने मंदिर का ताला टूटा देखा. पंडित रामप्रीत झा ने थाने में शिकायत दर्ज कराई. मौके पर पहुंचे डीएसपी मुत्तफिक अहमद ने बताया कि मंदिर से कृष्ण, गणेश, विष्णु, हनुमान और छोटा गोपाल की मूर्तियां चोरी हुई हैं. इन की कीमत तकरीबन 10 लाख रुपए आंकी गई है.

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