UP News : आजकल जहां एक ओर शिक्षित युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं तो वहीं भाजपा के डबल इंजन की सरकार वाले राज्य में शिक्षा माफिया दोनों हाथों से अपनी तिजोरी भर रहे हैं. इन माफियाओं की मिलीभगत से एक टीचर प्रदेश के 25 विद्यालयों में पिछले 13 महीने से नौकरी करती पाई गई. कौन थी ये टीचर और कैसे व किस के रहमोकरम पर चल रहा था ये पूरा गोरखधंधा? पढ़ें, शिक्षक घोटाले की परतदरपरत खोलती यह खास कहानी.

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिस ने उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. जिस ने पूरे सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए थे. यह मामला गोंडा जिले का था. अनामिका शुक्ला केस, जिस में एक ही नाम के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर 25 विद्यालयों में फरजी नौकरियां हासिल की गईं और करोड़ों रुपए का वेतन लिया गया. इस केस ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था. इस मामले की जांच उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पैशल टास्क फोर्स को सौंपी थी, लेकिन जांच अधूरी रहने और नए खुलासों के साथ यह केस अब और भी उलझता जा रहा है.

मामला तब सुर्खियों में छाया रहा, जब सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय जनसंवाद मंच के सचिव प्रदीप कुमार पांडेय ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाते हुए अनामिका शुक्ला को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया था, जिस में बेसिक शिक्षा विभाग में एक संगठित गिरोह की ओर इशारा करते हुए डेटा लीक और फरजी नियुक्तियों के जरिए सरकारी धन की लूट का दावा किया गया. बात 5 मई, 2025 की थी. जनसंवाद मंच के सचिव प्रदीप कुमार पांडेय ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट (द्वितीय) अंकित सिंह की अदालत में अनामिका शुक्ला प्रकरण को ले कर एक याचिका दायर की थी, जिस में उन्होंने 8 लोगों को आरोपी ठहराया था.

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