4 नवंबर, 2018 की बात थी. उस समय सुबह के करीब 9 बजे थे. मुंबई के उपनगर अंधेरी वेस्ट के थाना ओशिवारा के थानाप्रभारी को एक अहम खबर मिली. खबर देने वाले ने टेलीफोन पर थानाप्रभारी शैलेश पासलकर को बताया कि अंधेरी लोखंडवाला कौंप्लेक्स स्थित क्रौसगेट कोऔपरेटिव हाउसिंग सोसायटी लिमिटेड बिल्डिंग के बी विंग के फ्लैट नंबर 301 के अंदर कोई हादसा हो गया है. फ्लैट में एक महिला मृत पड़ी हुई है.
इस जानकारी को थानाप्रभारी शैलेश पासलकर ने गंभीरता से लिया. बिना देर किए वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. चूंकि घटना अंधेरी के पौश इलाके के कौंप्लेक्स की सोसायटी में घटी थी, इसलिए उन्होंने इस की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम और फोरैंसिक ब्यूरो को भी दे दी.
घटनास्थल ओशिवारा पुलिस थाने से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर था. पुलिस टीम को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. 10 मिनट के अंदर पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. तब तक इस मामले की खबर पूरी सोसायटी में फैल चुकी थी और तमाम लोग वहां एकत्र हो गए थे.पुलिस टीम भीड़ को हटा कर बिल्डिंग की लिफ्ट से तीसरी मंजिल के फ्लैट नंबर 301 के सामने पहुंच गई. फ्लैट का दरवाजा बाहर से बंद था.
पूछताछ में सोसायटी के लोगों ने बताया कि कई सालों से उस फ्लैट में बौलीवुड की सुप्रसिद्ध मौडल और फैशन डिजाइनर सुनीता सिंह लाठर अपने बेटे लक्ष्य सिंह लाठर के साथ किराए पर रहती थी. उन के साथ अकसर उन के बेटे लक्ष्य सिंह लाठर की प्रेमिका और मंगेतर ऐशप्रिया बनर्जी भी आतीजाती थी.
सोसायटी के लोगों के बताने और फ्लैट बाहर से बंद होने की वजह से थानाप्रभारी शैलेश पासलकर को मामला काफी रहस्यमय लगा. उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर के दरवाजा तोड़ने का फैसला किया, तभी वहां पर सुनीता सिंह लाठर का बेटा लक्ष्य सिंह लाठर आ गया.
उस ने बताया कि वह मंदिर गया था और उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. पुलिस अधिकारियों की तरह उस ने भी कई बार फ्लैट की कालबेल बजाने के बाद अपनी चाबी से दरवाजा खोला.
दरवाजा खुलने पर जब पुलिस टीम फ्लैट के अंदर गई तो वहां की स्थिति देख कर सभी स्तब्ध रह गए. हौल के बीचोंबीच फैशन डिजाइनर सुनीता सिंह लाठर का शव पड़ा था. उस के शरीर पर हाफ टी शर्ट और हाफ लैगी थी. सिर पर एक गहरा घाव था, जिस में से काफी खून बह चुका था.
अपनी मां सुनीता सिंह लाठर को मृत देख लक्ष्य दहाड़ें मारमार कर रोने लगा. पुलिस टीम और पड़ोसी उसे सांत्वना दे रहे थे. पुलिस टीम घटनास्थल का निरीक्षण कर के हादसे के बारे में पूछताछ कर ही रही थी कि डीसीपी मनोज शर्मा, क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम और फोरैंसिक टीम भी वहां पहुंच गई.
फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो जाने के बाद डीसीपी मनोज शर्मा ने घटनास्थल का बारीकी से जायजा लिया. मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण उन्होंने जांच का दायित्व स्वयं संभाला. उस समय थानाप्रभारी शैलेश पासलकर को केस से संबंधित आवश्यक दिशानिर्देश दे कर वह वापस लौट गए.
थानाप्रभारी शैलेश पासलकर ने क्राइम ब्रांच टीम के साथ मिल कर घटनास्थल का मुआयना किया. मृतक सुनीता सिंह लाठर के शव को पोस्टमार्टम के लिए विलेपार्ले के कूपर अस्पताल भेज दिया गया. प्राथमिक काररवाई निपटा कर पुलिस टीम थाने लौट आई. केस की जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस सुनीता सिंह लाठर के मौडल बेटे लक्ष्य सिंह लाठर को थाने ले आई.
पिता की आत्मा ने मारा मां को
पुलिस अफसरों ने मौडल लक्ष्य सिंह लाठर के बयान पर केस दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. लक्ष्य सिंह लाठर ने अपने बयान में बताया कि उस की मां सुनीता सिंह लाठर की मौत की वजह उस के मृतक पिता की आत्मा है, जो कभी भी उन के ऊपर हावी हो जाती थी. जिस की वजह से वह मानमर्यादा सब भूल जाती थी. अजीबअजीब सी हरकतें करने लगती थी.
कभी वह उस से शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहती तो कभी शराब और ड्रग्स के नशे में उस से पैसों और कई चीजों की मांग करती थी, जो उस के लिए संभव नहीं था. घटना के समय वह घर में नहीं था. मां सुनीता सिंह ने रात को सोते समय ड्रग्स का हैवी डोज लिया था. सुबह बाथरूम में शायद वह अपने आप को संभाल नहीं पाई होंगी या फिर पिता की आत्मा का असर हुआ होगा. बाथरूम में गिर कर उन की मौत हो गई होगी.
मौडल लक्ष्य सिंह लाठर के इस बयान से पुलिस अफसर भी हैरान रह गए. वह मामले को जितना सीधा समझ रहे थे, दरअसल वह उतना सीधा नहीं था. जब उस की मां सुनीता सिंह लाठर पर पिता की मृत आत्मा का असर होता था. तब वह उस से मुक्ति पाने के लिए किसी न किसी बाबा की शरण में जाता था. हालांकि आत्मा जैसी बातों को पुलिस और कानून नहीं मानता.
पुलिस अफसरों ने अपने सूत्रों से सुनीता सिंह लाठर की हत्या की कडि़यों को जोड़ा. रहीसही कमी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरी कर दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुनीता सिंह लाठर की मौत को हादसा नहीं बल्कि हत्या बताया गया था.
सुनीता के शरीर पर मारपीट के निशान और गरदन पर गहरी चोट का निशान पाया गया था. इस के बावजूद लक्ष्य सिंह लाठर अपना गुनाह स्वीकार नहीं कर रहा था. वह 36 घंटों तक जांच अफसरों को नएनए रहस्यों में उलझाता रहा.
पुलिस अफसरों के सामने सब से बड़ी समस्या यह थी कि वह ड्रग एडिक्ट लक्ष्य सिंह लाठर से सख्ती से पूछताछ भी नहीं कर सकते थे. मृत्यु के समय सुनीता सिंह ने भी ड्रग का हैवी डोज लिया था.