कुलदीप कौर पिछले कई महीनों से परेशान थी, लेकिन परेशानी की वजह उस की समझ में नहीं आ रही थी. उस का मन हर समय बेचैन रहता था. अजीबोगरीब विचार मन को उलझाए रखते थे. वह कितना भी अच्छा सोचने की कोशिश करती, मन सकारात्मक सोच की ओर न जा कर नकारात्मक सोच में ही डेरा जमाए रहता था.
बुरे विचारों से जैसे कुलदीप का नाता जुड़ गया था. मन को समझाने और बुरे विचारों से दूर रहने के लिए वह अपना अधिकांश समय गुरुद्वारे में व्यतीत करने लगी थी.
कुलदीप कौर की चिंता का विषय सात समंदर पार पंजाब में बैठी अपनी मां राजविंदर कौर थीं. हालांकि 57 वर्षीय राजविंदर कौर की देखभाल के लिए गांव के घर में उस की भाभी शगुनप्रीत कौर थी, लेकिन भाभी पर उसे भरोसा नहीं था.
कुलदीप के पति मनमोहन सिंह ने उसे कई बार समझाया भी था कि बेकार में चिंता करने से कोई फायदा नहीं है. अगर मन इतना ही परेशान है तो इंडिया का चक्कर लगा आओ. वहां अपनी मां से मिल लेना. लेकिन समस्या यह थी कि उन दिनों कुलदीप गर्भवती थी. डाक्टरों ने ऐसी हालत में हवाई यात्रा करने से मना कर रखा था. बहरहाल, इसी उधेड़बुन में कुलदीप कौर के दिन गुजर रहे थे.
भरापूरा परिवार था बलदेव सिंह का
कुलदीप कौर मूलत: गांव बुट्टर सिविया, थाना मेहता, जिला अमृतसर, पंजाब की रहने वाली थी. उस के जीवन के 16 बसंत भी अपने गांव बुट्टर में ही गुजरे थे. गांव में रहते ही उस ने जवानी की दहलीज पर पांव रखे थे. कुलदीप का छोटा सा परिवार था.